इस्लामाबाद/वॉशिंगटन:आईएमएफ से पाकिस्तान को कर्ज मिलने के बाद बार-बार यह सवाल उठता है कि क्या आतंक को पोषित करने वाले मुल्क को यह फंड मिलना जायज है? लगातार मिल रहे फंड के बाद भी पाकिस्तान की इकोनॉमी पटरी पर क्यों नहीं आ रही ? वह इन पैसों को दुरुपयोग कर आतंक को बढ़ावा देने में करता है। इस बारे में अनुराग मिश्र ने इंफॉर्मेटिक्स रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट डा. बात की।
IMF क्यों दे रहा है पाकिस्तान को बेलआउट?
पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार सीमित है, महंगाई दर दो अंकों में है, और कर्ज़ के भुगतान की स्थिति बेहद जटिल होती जा रही है। ऐसे में आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से सहायता लेना उसकी मजबूरी बन गई है।
बेलआउट पैकेज के ज़रिए आईएमएफ पाकिस्तान को आर्थिक स्थिरता की राह पर लाने में मदद कर रहा है, ताकि वहां की सरकार अपने कर्ज़ों का भुगतान कर सके, बजट घाटे को नियंत्रित कर सके और महंगाई को कुछ हद तक काबू में रख सके।
भारत और पाकिस्तान के बीच दस मई को हुए सीज़फ़ायर से पहले, सैन्य झड़प तेज़ हो गई थी. भारत ने आईएमएफ़ के इस क़दम का तीख़ा विरोध किया था.
भारत के विरोध के बावजूद आईएमएफ़ बोर्ड ने सात अरब डॉलर के कर्ज की दूसरी किश्त ये कहते हुए मंज़ूर कर दी कि पाकिस्तान आर्थिक रिकवरी के लिए आईएमएफ़ के कार्यक्रम को लागू करने में तत्परता दिखा रहा है.
बता दे कि, पाकिस्तान दशकों से आर्थिक संकटों में डूबा रहा है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था संरचनात्मक रूप से कमजोर रही है। लोकतंत्र के नाम पर वहां सिर्फ नाटक होता रहा है। असली सत्ता कभी सेना के पास रही, तो कभी कठपुतली सरकारों के पास। 1958 से अब तक पाकिस्तान ने IMF से 24 बार बेलआउट पैकेज लिए हैं। हाल ही में IMF ने उसे 2.4 अरब डॉलर का बेलआउट दिया है, जिसमें 1 अरब डॉलर का एक्सटेंडेड फंड है और बाकी क्लाइमेट लिंक्ड रेज़िलिएंस ट्रस्ट के तहत। वही, आपको ये भी बताते चले कि, भारत और पाकिस्तान के बीच दस मई को हुए सीज़फ़ायर से पहले, सैन्य झड़प तेज़ हो गई थी. भारत ने आईएमएफ़ के इस क़दम का तीख़ा विरोध किया थभारत के विरोध के बावजूद आईएमएफ़ बोर्ड ने सात अरब डॉलर के कर्ज की दूसरी किश्त ये कहते हुए मंज़ूर कर दी कि, पाकिस्तान आर्थिक रिकवरी के लिए आईएमएफ़ के कार्यक्रम को लागू करने में तत्परता दिखा रहा है.