मन्दसौर। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हर ख़बर के तथ्य को अवश्य परखें। खबरों के दौर में स्त्रोत का पता लगाना आवश्यक है। खबरों की अधूरी जानकारी भयावह रूप ले सकती है उक्त कथन वरिष्ठ पत्रकार दीपक डोभाल ने ‘फेक न्यूज़ व इसकी रोकथाम’ विषय पर कहे। वे मन्दसौर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार में वर्चुअल माध्यम से बोल रहे थे । उन्होंने मन्दसौर विश्वविद्यालय सहित देशभर के कई मीडिया संस्थानों के छात्रों व शोधकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कई बार खबरें देने वाला भी खबर की सत्यता से वंचित रह जाता हैं, इसका मुख्य कारण तथ्यों की जानकारी का अभाव है।
फेक न्यूज़ से जागरूकता के संदर्भ में जानकारी देते हुए वरिष्ठ पत्रकार दीपक डोभाल ने बताया कि वर्तमान में कई न्यूज़ चैनल फेक न्यूज़ के समाधान हेतु मुहिम चला रहे हैं, जिसका व्यापक असर भी दिखाई पड़ रहा हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर, कुछ मीडिया के माध्यम टीआरपी व तीव्र सूचना प्रदान करने की होड़ में सूचनाओं के संदर्भ केंद्र छूट जाते हैं, जिससे दर्शक व पाठकों में भ्रम सहित अन्य कारक पैदा हो जाते हैं। इससे कहीं न कहीं मीडिया व उनके द्वारा प्रसारित खबरों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होते हैं।
वेबिनार का प्रारंभ जनसंचार विभाग के सहायक प्रो.अरुण कुमार जायसवाल ने समाज में मीडिया की भूमिका व खबरों की मौलिकता पर बात करते हुए किया। वेबिनार के अंतिम कड़ी में विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष जैसल ने छात्रों को फेक न्यूज़ के प्रभावों को समझाते हुए कहा कि डिजिटल युग से समाज में सकारात्मक व नकारात्मक परिवर्तन सामने आए हैं। समाज मे अब जागरूक परिवर्तन की आवश्यकता है । इसके पश्चात डोभाल ने मीडिया के छात्रों के प्रश्नों के सन्तोषप्रद जवाब देते हुए उनके जिज्ञासा को शांत किया और उनके वैचारिक मत को भी सुना।
कार्यक्रम का संचालन छात्र कपिल शर्मा ने किया। आभार विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष कुमार जैसल ने माना। वेबिनार में मन्दसौर विश्वविद्यालय के सहायक प्रो सोनाली व पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के समस्त छात्र- छात्राओं सहित बिहार, हरियाणा, राजस्थान व देशभर के कई मीडिया संस्थानों के छात्र व शोधकर्ता उपस्थित थे। उक्त जानकारी पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा दी गई।