भारत में चावल और गेहूं का भंडार इस समय ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 सितंबर 2025 तक सरकारी गोदामों में चावल और गेहूं की कुल उपलब्धता सरकार के तय लक्ष्यों से कहीं अधिक हो चुकी है। यह स्थिति देश की खाद्य सुरक्षा के लिहाज से बेहद सकारात्मक मानी जा रही है, लेकिन इसके साथ ही भंडारण और नए सीजन की फसल को लेकर नई चुनौतियां भी सामने खड़ी हैं।
अगले महीने नए सीजन की धान की फसल आने वाली है, जो सरकारी एजेंसियों के लिए स्टोरेज की नई चुनौती पेश कर सकती है. पिछले साल की रिकॉर्ड फसल और पर्याप्त भंडार के कारण भारत न केवल घरेलू जरूरतें पूरा कर सकता है, बल्कि निर्यात को भी बढ़ावा दे सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि चावल और गेहूं का यह विशाल भंडार देश के खाद्य सुरक्षा नेटवर्क को मजबूत बनाता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति को और मजबूती देता है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 1 सितंबर 2025 तक सरकारी गोदामों में चावल का भंडार 48.2 मिलियन टन दर्ज किया गया। यह पिछले वर्ष की तुलना में 14% अधिक है। सरकार ने जुलाई 2025 के लिए जो लक्ष्य तय किया था, वह केवल 13.5 मिलियन टन था। यानी वर्तमान भंडार लक्ष्य से कई गुना अधिक है।
गेहूं का भंडार चार साल के उच्चतम स्तर पर
चावल के साथ-साथ गेहूं का भंडार भी इस समय रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 सितंबर 2025 तक गेहूं का स्टॉक 33.3 मिलियन टन तक पहुंच गया, जबकि निर्धारित लक्ष्य 27.6 मिलियन टन था। यह पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है।
जानकारी दे दें कि, भारत में कृषि उत्पादन हर साल लगातार बढ़ रहा है। पिछले वर्ष की रिकॉर्ड फसल के बाद इस वर्ष भी अच्छे मानसून और समय पर बुआई के कारण उत्पादन मजबूत रहने की उम्मीद है। लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में भंडार होने के कारण सरकारी एजेंसियों—विशेषकर भारतीय खाद्य निगम —के सामने सबसे बड़ी चुनौती भंडारण क्षमता की है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति
भारत का इतना विशाल अनाज भंडार वैश्विक बाजार में उसकी स्थिति को भी मजबूत करता है। चावल निर्यात में तो भारत पहले ही अग्रणी है, लेकिन पर्याप्त गेहूं स्टॉक होने से भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं निर्यात बढ़ाने के भी अवसर मिल सकते हैं। इससे भारत कृषि व्यापार में और भी सशक्त खिलाड़ी बन सकता है।
बता दें कि, भारत में चावल और गेहूं का वर्तमान रिकॉर्ड भंडार एक मजबूत खाद्य सुरक्षा कवच की तरह है। यह न केवल महंगाई पर नियंत्रण रखने और गरीबों को सस्ता राशन उपलब्ध कराने में मदद करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा। हालांकि, इसके साथ ही भंडारण और प्रबंधन की चुनौती को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आने वाले महीनों में जब नई फसल बाजार में आएगी, तब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस विशाल भंडार को किस तरह संभालती है और देश के लिए इसे अवसर में बदल पाती है या नहीं।
