दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए दो टेस्ट मैचों की सीरीज खत्म हो चुकी है। भारत 0-2 से यह मुकाबला हार चुका है और इसके साथ ही कई सवाल एक बार फिर भारतीय क्रिकेट के सामने खड़े हो गए हैं। यह सिर्फ हार नहीं थी, बल्कि ऐसी हार थी जिसने टीम इंडिया की मानसिक मजबूती, तकनीकी तैयारी और टेस्ट क्रिकेट के मूल सिद्धांतों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आख़िर वह भारतीय टीम, जिसने कभी द्रविड़-लक्ष्मण जैसे मजबूत तकनीक और धैर्य वाले बल्लेबाज़ दिए, आज “रुकना, टिकना और जूझना” जैसे सबसे बुनियादी टेस्ट गुण क्यों भूल गई?
प्रोटियाज टीम संग सीरीज खत्म हो गई है, और जिस तरह भारतीय टीम 0-2 से हारी, उस हार से कई शर्मनाक रिकॉर्ड बने और कई ऐसे जिसकी कल्पना भी नहीं की गई थी. … हालांकि ऑस्ट्रेलियां संग सीरीज के बाद और दौरान कई बदलाव हुए, रविचंद्रन अश्विन ने सीरीज के बीच में संन्यास लिया बाद में विराट कोहली और रोहित शर्मा क…
टेस्ट क्रिकेट: रुकने और टिकने का सबसे बड़ा इम्तिहान
टेस्ट मैच एक ऐसा प्रारूप है जिसमें बल्लेबाज़ी का पहला और सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है– पिच पर समय बिताना। यह देखना कि आप कितनी गेंदें खेलते हैं, कितनी देर टिकते हैं और विपक्षी गेंदबाजों से कितनी देर तक लड़ पाते हैं। यही कौशल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों को ‘दीवार’ बनाता था और लक्ष्मण को संकटमोचक।
लेकिन अफ्रीका के खिलाफ भारतीय बल्लेबाज़ी ठीक इसके उलट दिखाई दी। हर मैच में टॉप ऑर्डर का ढह जाना, बिना वजह शॉट खेलना, पिच की स्थिति को समझने में असफलता– इन सबने भारतीय टीम की कमजोरी को उजागर कर दिया। गेंदबाजों के उछाल से जूझने के बजाय टीम ने जल्दबाज़ी दिखाई, और परिणाम बेहद शर्मनाक रहे।
