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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की आवाज राज्यसभा में चार वर्षों के बाद पुनः गूंजेगी, लेकिन शुक्रवार को हुए राज्यसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) को जीत के बावजूद ठगा हुआ महसूस करा दिया। तीन सीटें जीतने के बावजूद पार्टी के लिए यह चुनाव आश्चर्य और चौंकाने वाले राजनीतिक घटनाक्रम से भरा रहा।

जम्मू-कश्मीर के राज्यसभा के चुनाव में पहली बार ऐसी क्रास वोटिंग हुई है। इससे राज्यसभा चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन और उसके सहयोगी दलों के पेालिंग एजेंटों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस की चुनावी रणनीति और अपने प्रत्याशियों की जीत के लए बनाए गए वोटिंग ब्लॉक पर भी सवाल उठने लगा है।

क्रॉस वोटिंग: पहली बार राज्यसभा चुनाव में
जम्मू-कश्मीर के राज्यसभा चुनाव में यह पहली बार है जब इस तरह की व्यापक क्रॉस वोटिंग देखने को मिली। इसने राज्यसभा चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन और उनके पोलिंग एजेंटों की भूमिका पर भी सवाल उठाए। नेशनल कॉन्फ्रेंस की चुनावी रणनीति और अपने प्रत्याशियों के लिए बनाए गए वोटिंग ब्लॉक की कमजोरी सामने आई है।

राजनीतिक नतीजे और जुबानी जंग की संभावना
राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोटिंग ने जम्मू-कश्मीर की राजनीति में जुबानी जंग को जन्म दे दिया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य की राजनीति में बड़ा टकराव पैदा कर सकता है। क्रॉस वोटिंग के कारण राजनीतिक दलों में विश्वास और सहयोग पर सवाल उठे हैं। विशेष रूप से NC के लिए यह सोचने का समय है कि भविष्य में वे अपने वोट ब्लॉक और प्रत्याशियों के समर्थन को कैसे सुनिश्चित करेंगे।

बता दें कि, तीन सीटों की जीत के बावजूद नेशनल कॉन्फ्रेंस को इस चुनाव के परिणामों से ठगा हुआ महसूस हो रहा है। पार्टी ने अपने विधायकों के मतदान को नियंत्रित करने की योजना बनाई थी, लेकिन क्रॉस वोटिंग और अतिरिक्त वोट डालने की घटनाओं ने उनके प्रत्याशी के लिए अपेक्षित समर्थन को प्रभावित किया। NC नेताओं का कहना है कि यह घटना भविष्य में पार्टी की रणनीति और चुनावी तैयारी के लिए एक सीख साबित होगी।

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में यह चुनाव एक नया अध्याय जोड़ने वाला है। क्रॉस वोटिंग ने राजनीतिक दलों के भीतर भरोसे और गठबंधनों की मजबूती पर प्रश्न चिह्न लगाया है। आगामी विधानसभा और राज्यसभा चुनावों में पार्टियों को अपने विधायकों की स्थिति और मतदान पैटर्न पर विशेष ध्यान देना होगा।

तीन सीटों की जीत के बावजूद नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए यह चुनाव राजनीतिक सतर्कता का संदेश है। क्रॉस वोटिंग, अतिरिक्त वोट और राजनीतिक रणनीति की कमजोरियों ने जम्मू-कश्मीर की राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है। आने वाले समय में यह राजनीतिक घटनाक्रम राज्य की राजनीति में बड़े विवाद और चर्चा का विषय बनेगा।

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