तीन साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार दर्शकों के पसंदीदा लीगल ड्रामा फ्रैंचाइज़ी की वापसी हो चुकी है। अक्षय कुमार और अरशद वारसी की जोड़ी एक बार फिर से बड़े पर्दे पर धमाल मचाने आई है — इस बार ‘जॉली एलएलबी 3’ के साथ।
निर्देशक सुभाष कपूर ने अपनी इस फिल्म को एक मजेदार लेकिन बेहद सोचने पर मजबूर करने वाले अंदाज में पेश किया है। फिल्म में कॉमेडी, कोर्टरूम ड्रामा, समाजिक मुद्दे, और एक तगड़ा रोमांटिक ट्विस्ट — सब कुछ है।
कहानी: दो ‘जॉली’, एक कोर्टरूम और किसानों का दर्द
फिल्म की शुरुआत बीकानेर के एक छोटे से गांव से होती है, जहां एक बुजुर्ग किसान अपने जमीन विवाद को लेकर न्याय की गुहार लगाता है। वह डीएम ऑफिस के चक्कर लगाते-लगाते थक जाता है, और आखिरकार सरकारी प्रोजेक्ट के नाम पर उसकी जमीन हड़प ली जाती है। मजबूर होकर वह आत्महत्या कर लेता है।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। गांव में अफवाह फैलती है कि किसान की मौत किसी प्रेम संबंध की वजह से हुई। यही गलत खबर मीडिया में भी छपती है। इस झूठे आरोप से दुखी होकर किसान की बहू भी सुसाइड कर लेती है।
जानकारी दे दे कि, फिल्म का डायरेक्शन भी बहुत अच्छा है। निर्देशक ने कॉमेडी, ड्रामा और रोमांस और किसानों के मुद्दों को इतनी खूबसूरती से दिखाया है कि फिल्म कहीं भी बोरिंग नहीं लगती. हर सीन का एक मकसद है और वह कहानी को आगे बढ़ाता है. ‘जॉली एलएलबी 3’ एक पैसा वसूल फिल्म है. यह आपको सोचने पर भी मजबूर करेगी।
बता दें कि, फिल्म में सिर्फ कोर्टरूम और सीरियस मुद्दे नहीं हैं, बल्कि बीच-बीच में जज और पुलिस अफसर के बीच का रोमांस कहानी को हल्का और मजेदार बना देता है। निर्देशक सुभाष कपूर ने हास्य, भावनाओं और रोमांस का ऐसा संतुलन बनाया है कि फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती।