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नई दिल्ली। देशभर में जहां भाषाई विवाद तूल पकड़ रहा है वहीं अभिनेता से नेता बने मक्कल निधि मय्यम (MNM) प्रमुख कमल हासन ने आज राज्यसभा के सदस्य के रूप में तमिल भाषा में शपथ ली। यह घटना उस समय घटी है जब देश में भाषा को लेकर बहस तेज़ है और कई क्षेत्रीय नेता अपनी मातृभाषा को संसद और प्रशासन में उपयोग करने की मांग कर रहे हैं। हासन की तमिल में शपथ को न केवल एक संवैधानिक अधिकार माना गया, बल्कि यह एक संवेदनशील भाषायी मुद्दे पर सशक्त सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के रूप में भी देखा जा रहा है।

आधिकारिक तौर पर कमल हासन की पार्टी और डीएमके के बीच गठबंधन हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2026 में तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में डीएमके और एमएनएम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

कमल हासन की राज्यसभा में एंट्री और तमिल में ली गई शपथ न सिर्फ एक राजनीतिक उपलब्धि है बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक भी है। यह उन लाखों लोगों की भावना को दर्शाती है जो भारतीय बहुलता में भाषायी विविधता को न केवल स्वीकारते हैं बल्कि उसे संसद के स्तर पर सम्मानित भी देखना चाहते हैं।

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