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मणिपुर में फिर से सरकार बनाने के लिए एनडीए के विधायक कवायद शुरू कर चुके हैं। इस बीच भाजपा और एनडीए में शामिल पार्टी के विधायकों ने इंफाल में राज्यभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की है। राज्यपाल से मुलाकात करने वाले विधायकों में भाजपा के 8 एनपीपी के 1 और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

भाजपा नीत एनडीए के 10 विधायक सरकार बनाने का दावा लेकर इंफाल में राज्यभवन पहुंचे हैं और उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात की है। इन 10 विधायकों में भाजपा के 8, एनपीपी के 1 और 1 निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

मणिपुर में सरकार के गठन की कवायद तेज, BJP और NPP विधायकों ने राज्यपाल के सामने पेश किया दावा
मणिपुर में फिर से सरकार बनाने के लिए एनडीए के विधायक कवायद शुरू कर चुके हैं। इस बीच भाजपा और एनडीए में शामिल पार्टी के विधायकों ने इंफाल में राज्यभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की है। राज्यपाल से मुलाकात करने वाले विधायकों में भाजपा के 8 एनपीपी के 1 और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।



मणिपुर की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है, जहां सत्ता के समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने एक बार फिर से सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में भाजपा, नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) और एक निर्दलीय विधायक ने संयुक्त रूप से इंफाल स्थित राज्यभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

राज्य में जनता की उम्मीदें और चुनौतियाँ

मणिपुर पिछले कुछ समय से जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। राज्य की जनता एक स्थिर और विकासोन्मुखी सरकार की अपेक्षा कर रही है जो शांति बहाल कर सके और विकास की राह खोल सके। यदि भाजपा और सहयोगी दलों की प्रस्तावित सरकार बनती है, तो यह उनके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी होगी कि वे लोगों के भरोसे पर खरे उतरें।

अब देखना होगा कि भाजपा-एनपीपी-निर्दलीय गठजोड़ की यह सरकार राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद कितनी प्रभावी साबित होती है। मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में राजनीतिक स्थिरता और सुशासन ही वह कारक होंगे जो राज्य को विकास की दिशा में आगे बढ़ाएंगे।

मणिपुर में सरकार गठन को लेकर शुरू हुई यह नई कवायद राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को नए सिरे से गढ़ सकती है। भाजपा और उसके सहयोगियों की यह कोशिश यदि सफल होती है, तो यह पूर्वोत्तर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी। वहीं, राज्य की जनता को भी इससे स्थायित्व और विकास की आशा जगेगी।

अमित शाह को लिखा था पत्र


इससे पहले 21 विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पूर्वोत्तर राज्यों में शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए ‘लोकप्रिय सरकार’ बनाने का आग्रह किया था। पत्र पर भाजपा के 13, एनपीपी के 3 और दो निर्दलीय सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे।

भाजपा की रणनीति और राष्ट्रीय राजनीति में संदेश

भाजपा के लिए मणिपुर जैसे सीमावर्ती राज्य में सत्ता बनाए रखना रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है। पूर्वोत्तर भारत में पार्टी का विस्तार और पकड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की सक्रियता का परिणाम माना जाता है। इस संदर्भ में मणिपुर में एक बार फिर सरकार बनाना भाजपा के लिए न केवल राजनीतिक बल्कि रणनीतिक उपलब्धि होगी।

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