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मेक्सिको ने गैर-मुक्त व्यापार समझौता (नॉन-एफटीए) वाले देशों से आयातित सामान पर अधिकतम 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का बड़ा फैसला किया है। यह टैरिफ 1 जनवरी 2026 से लागू होगा और मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, स्टील, प्लास्टिक, फुटवियर और घरेलू उपकरणों सहित 1,400 से अधिक उत्पादों को प्रभावित करेगा।

गौरतलब हैं कि, मेक्सिको ने यह कदम क्यों उठाया?मेक्सिको की अर्थव्यवस्था लंबे समय से मुक्त व्यापार पर निर्भर रही है, खासकर USMCA (अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौता) के तहत। लेकिन हाल के वर्षों में सस्ते एशियाई आयात, विशेष रूप से चीन से, ने स्थानीय उद्योगों को नुकसान पहुंचाया है। 2024 में मेक्सिको का चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट 130 बिलियन डॉलर से अधिक था। चीनी कारों का बाजार हिस्सा छह साल में शून्य से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया।

बता दें कि, मेक्सिको का यह टैरिफ फैसला घरेलू अर्थव्यवस्था की रक्षा का प्रयास तो है, लेकिन जियोपॉलिटिकल दबावों से भी प्रभावित लगता है। भारत को अब तेजी से कूटनीतिक कदम उठाने होंगे ताकि निर्यात प्रभावित न हो। यह वैश्विक व्यापार के बदलते परिदृश्य की एक और मिसाल है, जहां प्रोटेक्शनिज्म हावी हो रहा है।

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