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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा वैश्विक सुर्खियों में है। सात साल बाद पीएम मोदी 30 अगस्त 2025 को चीन पहुंचे, जहां उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक से पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब जून 2020 की गलवान झड़प के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव बना रहा। इसलिए इस दौरे को दोनों देशों के रिश्तों में संभावित सुधार की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

बता दें कि, पीएम मोदी 30 अगस्त को पूरे सात साल बाद चीन पहुंचे हैं। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की मीटिंग से पहले आज चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। जून 2020 में हुई गलवान झड़प के बाद भारत-चीन के संबंध खराब हो गए थे। अब मोदी के इस दौरे से दोनों देशों के संबंध सुधरने की उम्मीद जताई जा रही है।

रिपोर्ट में लिखागया कि, चीन ने प्रधानमंत्री मोदी का रेड कार्पेट वेलकम किया। बीजिंग ने इस मुलाकात को बेहद औपचारिक और गरिमामयी बनाने की पूरी कोशिश की। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन इस समय भारत को न केवल पड़ोसी और व्यापारिक साझेदार के तौर पर देख रहा है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में भी प्रस्तुत करना चाहता है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि, SCO सम्मेलन के बाद बीजिंग में चीन अपनी नई मिसाइलों और युद्धक विमानों की सैन्य परेड दिखाएगा। यह केवल आंतरिक शक्ति प्रदर्शन नहीं होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देने की कोशिश होगी कि चीन अब सैन्य और कूटनीति, दोनों मोर्चों पर अमेरिका की बराबरी करने का इरादा रखता है।

जानकारी दे दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा केवल भारत-चीन संबंधों के लिहाज से ही नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन की दृष्टि से भी ऐतिहासिक है। रिपोर्टें इस बात को स्पष्ट करती हैं कि दुनिया की नजरें इस मुलाकात पर टिकी हैं।

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