रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दूसरे दिन नई दिल्ली में कूटनीति का असाधारण माहौल देखने को मिला। भारत और रूस के शीर्ष नेतृत्व के बीच आयोजित यह मुलाकात न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम देने पर केंद्रित रही, बल्कि वैश्विक अस्थिरता और यूक्रेन संघर्ष जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया।
भारत-रूस शिखर सम्मेलन में इन चीजों पर रहेगा फोकस
गौरतलब है कि पुतिन भारत मंडपम में 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस शिखर सम्मेलन में रक्षा सहयोग को मजबूत करना, बाहरी दबावों से द्विपक्षीय व्यापार को सुरक्षित रखना और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर पर सहयोग के नए रास्ते तलाशना मुख्य एजेंडा रहेगा।
राजघाट से राष्ट्रपति भवन तक
सुबह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली के राजघाट से की, जहां उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह कदम भारत की सांस्कृतिक धरोहर और विश्व शांति के प्रति गांधी दर्शन के महत्व को सम्मान देने का प्रतीक माना गया। इसके बाद वे राष्ट्रपति भवन पहुंचे, जहाँ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका औपचारिक स्वागत किया। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में पुतिन को गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया, जो कि भारत की सर्वोच्च राजनयिक परंपरा का हिस्सा है।
बता दें कि, पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की द्विपक्षीय बैठक एक बार फिर यह दर्शाती है कि भारत वैश्विक मुद्दों पर संतुलित, मानवीय और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाता है। यूक्रेन संघर्ष पर भारत की शांति-केन्द्रित नीति इसे एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करती है। 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन से यह उम्मीद की जा रही है कि द्विपक्षीय रिश्तों में नई ऊर्जा आएगी, नए समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे और दोनों देश रणनीतिक लक्ष्यों के अनुरूप सहयोग को आगे बढ़ाएंगे।
