नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आम लोगों की सेहत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लोकप्रिय दर्द निवारक दवा निमेसुलाइड (Nimesulide) पर बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 100 मिलीग्राम से अधिक खुराक वाली सभी ओरल (खाने वाली) निमेसुलाइड फॉर्मूलेशन्स के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है।
निमेसुलाइड एक नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (NSAID) है, जो साइक्लोऑक्सीजनेज-2 (COX-2) एंजाइम को चुनिंदा रूप से रोककर काम करती है। यह दवा 1985 में इटली में पहली बार लॉन्च हुई थी और भारत में 1995 से उपलब्ध है। इसे तेजी से असर दिखाने वाली दवा माना जाता है, जो बुखार, सिरदर्द, दांत दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों की सूजन और मासिक धर्म के दर्द (डिसमेनोरिया) जैसी समस्याओं में डॉक्टरों द्वारा अक्सर निर्धारित की जाती है।
विशेषज्ञों और अध्ययनों के अनुसार, निमेसुलाइड की उच्च खुराक या लंबे समय तक उपयोग से लिवर डैमेज (हेपेटिक इंजरी) का खतरा बढ़ जाता है। यह जोखिम दुर्लभ लेकिन गंभीर होता है, जिसमें एक्यूट लिवर फेलियर (तीव्र यकृत विफलता) भी शामिल है, जो लीवर ट्रांसप्लांटेशन या मौत का कारण बन सकता है। कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों और फार्माकोविजिलेंस रिपोर्ट्स में निमेसुलाइड को अन्य NSAIDs की तुलना में अधिक हेपेटोटॉक्सिक पाया गया है।
यह फैसला जन स्वास्थ्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि दर्द और बुखार से राहत के लिए कई सुरक्षित विकल्प मौजूद हैं, इसलिए उच्च जोखिम वाली दवाओं को चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंधित किया जा रहा है।।
बता दें कि, डॉक्टरों और मरीजों से अपील की जा रही है कि वे दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें, लंबे समय तक या बिना आवश्यकता के निमेसुलाइड जैसी दवाओं से बचें और यदि कोई लिवर संबंधी लक्षण (पीलिया, थकान, पेट दर्द) दिखें तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें। यह प्रतिबंध 31 दिसंबर 2025 से प्रभावी है और देश भर में लागू होगा।
