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भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराना सिंधु जल विवाद एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को इस्लामाबाद में हुए एक कार्यक्रम में भारत को खुले तौर पर चेतावनी दी कि पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी को रोकने का कोई भी प्रयास “सिंधु जल संधि” का उल्लंघन होगा और इसका जवाब निर्णायक तरीके से दिया जाएगा।

भारत की संभावित रणनीति और आरोप

भारत की ओर से पिछले वर्षों में इस बात के संकेत दिए गए हैं कि यदि पाकिस्तान आतंकवाद और सीमा पार हिंसा पर लगाम नहीं लगाता, तो जल समझौतों की समीक्षा की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, भारत पश्चिमी नदियों पर अधिक जल उपयोग की परियोजनाओं को तेज करने पर विचार कर रहा है।

गौरतलब है कि, शहबाज शरीफ से पहले पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत को युद्ध की धमकी दे चुके हैं। सोमवार को दिए एक बयान में बिलावल ने कहा था कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित रखा तो पाकिस्तान के पास जंग के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा भुट्टो ने दावा किया था कि पाकिस्तान के लोग 6 नदियों को वापस लेने के लिए जंग करने में सक्षम हैं।

वही, भारत ने अब तक इस मामले पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विदेश मंत्रालय पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि भारत सभी अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करता है। भारत के कूटनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की धमकियों का सीधा जवाब देने के बजाय तथ्यों और संधि के प्रावधानों पर जोर दिया जाना चाहिए।

बता दें कि, सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव आने वाले दिनों में और उभर सकता है, खासकर जब दोनों देशों में राजनीतिक और आर्थिक दबाव अधिक है। पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री, पूर्व विदेश मंत्री और सेना प्रमुख के लगातार आक्रामक बयान संकेत देते हैं कि यह मुद्दा केवल जल संसाधन का नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामरिक रणनीति का भी हिस्सा है।

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