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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर अपनी सख्त इमिग्रेशन नीति को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि वह “थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज” से आने वाले शरणार्थियों को अमेरिका में प्रवेश नहीं करने देंगे। ट्रम्प ने दावा किया कि इससे देश को सुरक्षित बनाया जा सकेगा और अमेरिकी नागरिकों के हितों की रक्षा होगी। ट्रम्प के इस बयान के बाद देश और विदेश में इमिग्रेशन नीति को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।

ट्रम्प ने कहा कि जो लोग सार्वजनिक बोझ हैं, सुरक्षा के लिए खतरा हैं या पश्चिमी सभ्यता के साथ मेल नहीं खाते, उन्हें भी देश से निकाला जाएगा।ट्रम्प द्वारा उपयोग किया गया शब्द “थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज” कानूनी रूप से मान्य नहीं है, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ में इसे उन देशों के लिए प्रयोग किया जाता है जो आर्थिक रूप से कमजोर, लो-इनकम या लोअर-मिडल-इनकम श्रेणी में आते हैं।

19 देशों के प्रवासियों पर बढ़ी निगरानी

ट्रम्प प्रशासन ने घोषणा की है कि 19 देशों से आए सभी प्रवासियों की कड़ी जांच की जाएगी। यह जांच केवल नए आवेदनों पर ही नहीं, बल्कि उन लोगों पर भी लागू होगी जिन्हें पहले से ग्रीन कार्ड यानी स्थायी निवास मिल चुका है।

USCIS (यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज) के डायरेक्टर जोसेफ एडलो ने बताया कि—
“ये 19 देश राष्ट्रपति ट्रम्प के जून 2025 के आदेश में सूचीबद्ध थे, जिनमें इन्हें ‘चिंता वाले देश’ कहा गया था।”

इस नई नीति के तहत, इन देशों से आने वालों की बैकग्राउंड जांच पहले की तुलना में कहीं अधिक कठोर होगी।

अमेरिकी समाज में भी मिली-जुली प्रतिक्रिया

अमेरिका के एक बड़े वर्ग का मानना है कि कड़े कदम सुरक्षा के लिए जरूरी हैं। वहीं मानवाधिकार संगठनों का तर्क है कि—

  • सभी प्रवासियों को संभावित अपराधी मानना उचित नहीं
  • शरणार्थियों के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए
  • अमेरिका हमेशा से आव्रजन पर आधारित एक ‘मल्टी-कल्चरल’ देश रहा है

फिलहाल, इस नीति पर देश में राजनीतिक बहस तेज हो गई है।

बता दें कि, वॉशिंगटन डीसी में हाल ही में दो नेशनल गार्ड्स की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने अमेरिका में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी थी। ट्रम्प ने इस घटना को शरणार्थियों से जोड़ते हुए कहा कि ‘ढीली’ इमिग्रेशन नीतियों की वजह से ऐसे लोग देश में घुस आते हैं, जो बाद में हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं। हालांकि, इस मामले की आधिकारिक जांच अभी जारी है और यह स्पष्ट नहीं है कि आरोपित शरणार्थी था या नहीं।

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