पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) इन दिनों उबाल पर है। मुजफ्फराबाद विश्वविद्यालय से शुरू हुआ एक छात्र आंदोलन अब बगावत का रूप ले चुका है, जिसमें Gen Z यानी नई पीढ़ी ने खुलकर शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने का फैसला किया है। बढ़ती फीस, शिक्षा में कुप्रबंधन और सरकारी बेरुखी के खिलाफ शुरू हुआ यह विरोध अब राजनीतिक रंग लेता जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि गुलाम कश्मीर में पिछले महीने भी एक उग्र प्रदर्शन देखने को मिला था। इस प्रदर्शन में 12 नागरिकों की मौत हुई थी। छात्रों और स्थानीय लोगों ने सरकार से कुल 30 मांगे पूरी करने की मांग की थी। इन मांगो में आटा, बिजली की कीमतों में कमी, टैक्स में राहत इत्यादि शामिल था।
मुजफ्फराबाद विश्वविद्यालय से शुरू हुआ विरोध, हिंसा में बदला आंदोलन
जानकारी के अनुसार, मुजफ्फराबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि और छात्रों के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी को लेकर विरोध की शुरुआत हुई। छात्रों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन से अपनी नाराजगी जताई, लेकिन किसी अज्ञात व्यक्ति की ओर से की गई फायरिंग के बाद स्थिति बेकाबू हो गई।
इस घटना में एक छात्र के घायल होने की खबर है, जिसके बाद आक्रोशित छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर और आसपास के इलाकों में टायर जलाए, आगजनी की और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, पुलिस और सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद छात्रों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। कई घंटों तक शहर के मुख्य मार्गों पर प्रदर्शन जारी रहा, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ।
एक महीने में दूसरी बार भड़का विरोध, सरकार पर बढ़ा दबाव
यह विरोध कोई पहली घटना नहीं है। पिछले महीने भी गुलाम कश्मीर में इसी तरह का उग्र प्रदर्शन देखने को मिला था, जिसमें 12 नागरिकों की मौत हुई थी।
तब प्रदर्शनकारियों ने सरकार के सामने 30 मांगों की सूची रखी थी — जिनमें आटा और बिजली की कीमतों में कमी, टैक्स से राहत, रोजगार के अवसर, और बेहतर बुनियादी सुविधाओं की मांग शामिल थी।
अब एक बार फिर से छात्र वर्ग के नेतृत्व में आंदोलन ने जोर पकड़ा है। इस बार Gen Z यानी नई पीढ़ी के युवाओं ने इस विरोध की कमान संभाल रखी है। यह वही पीढ़ी है जो सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ बुलंद करने में सबसे आगे है और जो अब सड़क पर उतरकर व्यवस्था के खिलाफ बोल रही है।
Gen Z का गुस्सा क्यों फूटा? शिक्षा और रोजगार दोनों में संकट
PoK के युवा लंबे समय से शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार, बढ़ती फीस और रोजगार के सीमित अवसरों से परेशान हैं।
30 अक्टूबर को जब इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष का रिजल्ट घोषित हुआ, तब कई छात्रों को अपेक्षा से कम अंक मिले। आरोप यह भी लगा कि कई छात्रों को उन विषयों में पास कर दिया गया, जिनकी परीक्षा उन्होंने दी ही नहीं थी।
इससे छात्रों का गुस्सा और भड़क गया। विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही और पक्षपात के आरोप लगे, और देखते ही देखते विरोध पूरे PoK में फैल गया।
एक छात्र ने मीडिया से कहा,
“हम पढ़ाई करने आए हैं, लेकिन यहां न सुविधा है, न पारदर्शिता। हमारी आवाज़ अब हम खुद उठाएंगे।”
बता दें कि, PoK में जारी यह आंदोलन पाकिस्तान की राजनीति और शासन प्रणाली पर गहरा सवाल खड़ा करता है। एक तरफ जहां युवा पीढ़ी बदलाव और पारदर्शिता की मांग कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार अब भी दमन और चुप्पी की नीति पर चल रही है।
