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पुणे की एमपी, एमएलए कोर्ट में सोमवार को कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक गंभीर अपील की। उन्होंने कहा कि उन्हें जान का खतरा है और अदालत उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दे। यह मामला वीर सावरकर मानहानि केस से जुड़ा हुआ है, जिसमें राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा चल रहा है।

पुणे की एमपी, एमएलए कोर्ट में सोमवार को कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक गंभीर अपील की। उन्होंने कहा कि उन्हें जान का खतरा है और अदालत उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दे। यह मामला वीर सावरकर मानहानि केस से जुड़ा हुआ है, जिसमें राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा चल रहा है।

राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंता

राहुल गांधी ने 13 अगस्त को कोर्ट में पेश होकर कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों और शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर के पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए उनकी जान को खतरा है। उन्होंने अदालत से प्रिवेंटिव प्रोटेक्शन (संरक्षणात्मक सुरक्षा) की मांग की, ताकि सुनवाई के दौरान उनकी सुरक्षा और मुकदमे की निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।

वही, राहुल गांधी ने कोर्ट को बताया कि हाल के दिनों में उनके राजनीतिक बयानों के कारण उन्हें भाजपा नेताओं की नाराजगी और धमकियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा और न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता दोनों खतरे में हैं।

जानकारी देते चले कि, इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब कांग्रेस की एक वरिष्ठ नेता ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस वकील मिलिंद पवार के प्रेस रिलीज को साझा करते हुए लिखा कि राहुल गांधी ने सुरक्षा खतरे का लिखित बयान कोर्ट में देने के लिए सहमति नहीं दी थी। नेता के मुताबिक, वकील ने बिना राहुल गांधी से चर्चा किए यह बयान दाखिल किया, जिससे राहुल गांधी सहमत नहीं हैं।

बता दें कि, राहुल गांधी की यह अपील केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक राजनीतिक विमर्श का हिस्सा है, जिसमें सुरक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, ऐतिहासिक विरासत और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता सभी जुड़े हुए हैं। 10 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई में अदालत का फैसला न केवल इस केस की दिशा तय करेगा, बल्कि आने वाले महीनों की राजनीतिक बहस को भी प्रभावित कर सकता है।

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