रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में मंगलवार का दिन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस अवसर पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर विस्तृत चर्चा की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब भारत हाल ही में दो बड़े आतंकी हमलों से गुजरा है, जिनकी जिम्मेदारी विभिन्न आतंकी संगठनों ने ली है।
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि संगठन को समय के साथ बदलना होगा और अंग्रेजी को SCO की आधिकारिक भाषा बनाने का फैसला अब आगे नहीं टाला जाना चाहिए। वर्तमान में SCO में सिर्फ रूसी और चीनी भाषा का इस्तेमाल होता है।
SCO की बैठक क्यों महत्वपूर्ण है?
SCO एशिया का सबसे बड़ा राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसमें भारत, रूस, चीन, उज़्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान और ईरान शामिल हैं।
ऐसे में भारत का आक्रामक और स्पष्ट रुख संगठन की नीतियों और भविष्य की दिशा को प्रभावित कर सकता है।
यह बैठक इसलिए भी खास रही क्योंकि सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने, आतंकवाद से निपटने और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए नई रणनीतियाँ तैयार की जा रही हैं।
बता दें कि, मॉस्को में आयोजित SCO बैठक ने भारत को अपना वैश्विक दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने रखने का अवसर दिया। जयशंकर ने आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस, संगठन में सुधार, अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा बनाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर एक संरचनात्मक दृष्टिकोण जैसी बातें रखकर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को और मजबूत किया है।
