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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका की एक विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा ने दक्षिण एशिया की राजनीति में नया भूचाल ला दिया है। यह फैसला न केवल बांग्लादेश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत में बस रहीं हसीना ने इस फैसले को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया है।


दिल्ली में रह रहीं 78 साल की शेख हसीना ने फैसले को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे ‘पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित’ बताया है। हसीना ने कहा कि यह सजा एक अवैध अंतरिम सरकार सोमवार को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश (ICT-BD) ने शेख हसीना को पिछले साल हुए छात्र आंदोलन के दौरान “मानवता के खिलाफ अपराध” के आरोपों में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई।

हसीना ने फैसले को बताया राजनीतिक साज़िश

दिल्ली में रह रहीं 78 वर्षीय शेख हसीना ने इस फैसले को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा:

  • “यह एक अवैध अंतरिम सरकार द्वारा रचा गया राजनीतिक बदले का खेल है।”
  • “मुकदमे को पक्षपातपूर्ण तरीके से चलाया गया और यह अवामी लीग को खत्म करने की साजिश है।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह फैसला विपक्ष और असंतुष्ट समूहों के दबाव में सुनाया गया है, जिनका उद्देश्य उन्हें राजनीतिक रूप से समाप्त करना है।

हसीना ने चुनौती देते हुए कहा कि यदि अंतरिम सरकार यह दावा करती है कि उसने निष्पक्ष न्याय किया है तो उसे इन आरोपों को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) में ले जाना चाहिए।

बता दें कि, शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा केवल एक कानूनी फैसला नहीं, बल्कि बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा, मानवाधिकारों की स्थिति और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर गंभीर प्रश्न खड़ा करने वाली घटना है। शशि थरूर की प्रतिक्रिया इस बात को दर्शाती है कि यह मामला सीमाओं से परे जाकर मानवाधिकारों और न्याय के वैश्विक मूल्यों से जुड़ जाता है।

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