हिंदू धर्म में देवी शक्ति की आराधना सर्वोच्च स्थान रखती है। भारतवर्ष में शक्ति उपासना के अनगिनत केंद्र मौजूद हैं, लेकिन इनमें 51 शक्तिपीठ को विशेष मान्यता प्राप्त है। मान्यता है कि यह वे स्थान हैं जहां भगवान शिव की पत्नी देवी सती के अंग, आभूषण या वस्त्र गिरे थे। यही कारण है कि इन स्थानों को शक्तिपीठ कहा जाता है।
भारत में देवी मां के 51 शक्ति पीठ हैं, जिनका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. आपको बता दें कि यह शक्ति पीठ उन जगहों पर स्थापित हैं। जहां देवी सती के शरीर के अलग-अलग अंग और आभूषण गिरे थे. वैसे तो मुख्य रूप से शक्ति पीठ की संख्या 51 है लेकिन कुछ जगहों पर इसकी 52 होने का भी जिक्र मिलता है। माता की इन सभी शक्तिपीठ स्तोत्र की पूजा और दर्शन करने के अपने अलग-अलग फायदे हैं।
चार आदि शक्तिपीठों की संयुक्त महत्ता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई भक्त कामाख्या, तारा पीठ, विमला मंदिर और कालीघाट के दर्शन कर लेता है, तो उसे सभी 51 शक्तिपीठों के समान पुण्य प्राप्त होता है। इन चारों स्थलों पर देवी शक्ति के विभिन्न रूपों की उपासना होती है।
- कामाख्या में सृजन शक्ति की उपासना
- तारा पीठ में ज्ञान और तांत्रिक शक्ति की उपासना
- विमला मंदिर में भक्ति और शक्ति का संतुलन
- कालीघाट में संहार और रक्षा शक्ति की उपासना
जानकारी दे दें कि, भारत में शक्ति उपासना का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। आदि शक्तिपीठ न केवल आस्था और श्रद्धा का केंद्र हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति, दर्शन और अध्यात्म की जड़ें भी इनसे जुड़ी हुई हैं। इन चार शक्तिपीठों के दर्शन कर भक्त न केवल पुण्य अर्जित करता है, बल्कि देवी शक्ति से सीधा आशीर्वाद प्राप्त करता है।
