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नई दिल्ली। ब्रिक्स (BRICS) देशों का वर्चुअल शिखर सम्मेलन सोमवार, 8 सितंबर 2025 को आयोजित हो रहा है, जिसकी मेजबानी ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा कर रहे हैं। इस शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर कर रहे हैं। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार द्वारा लगाए गए ‘टैरिफ बम’ का सामूहिक समाधान तलाशना और वाशिंगटन की व्यापार नीतियों से पैदा हुए वैश्विक व्यवधानों पर चर्चा करना है।

जानकारी दे दें कि, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि विदेश मंत्री जयशंकर कर रहे हैं. कुछ एक्सपर्ट इसे भारत की विदेश नीति की स्थिति को संतुलित करने के लिए एक सोच समझकर उठाया गए कदम के रूप में देख रहे हैं. भारत अगले ही साल ब्रिक्स के अध्यक्ष पद को संभालने की तैयारी कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स के लेकर यह संदेह बार बार जाहिर की है कि यह मोर्चा डॉलर को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है. वैसे भारत ने ऐसी किसी भी मंशा से इनकार किया है.

ब्रिक्स की गोलबंदी का उद्देश्य

ब्रिक्स—जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं—पिछले कई वर्षों से वैश्विक आर्थिक सहयोग और बहुपक्षीय व्यवस्था को मजबूत करने का मंच रहा है। इस बार का शिखर सम्मेलन विशेष रूप से अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियों के खिलाफ साझा रणनीति बनाने के लिए आयोजित किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक वैश्विक व्यापार प्रणाली में स्थिरता लाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकती है।

बता दें कि, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025, मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। जहां एक ओर अमेरिका की टैरिफ नीतियों ने दुनिया के व्यापार को अस्थिर किया है, वहीं दूसरी ओर ब्रिक्स देशों के लिए यह एक अवसर है कि वे मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर और न्यायसंगत बनाने के लिए पहल करें।

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