समाचार मिर्ची

समाचार मिर्ची: सबसे तेज़ खबरें, हर पल ताज़ा विश्वसनीय समाचार, हर नजरिए से सही देश-दुनिया की सबसे ताज़ा खबरें खबरें जो आपको बनाए रखें अपडेट राजनीति से लेकर खेल तक, सबकुछ आपको मिलेगा तेज और विश्वसनीय खबरें, बस एक क्लिक दूर हर पल की ताज़ी खबर, बिना किसी झोल के खबरें जो आपको चौंका दें, हर बार जानिए हर अपडेट, सबसे पहले और सबसे सही जहाँ सच्चाई और ताजगी मिलती है

समाचार मिर्ची: सबसे तेज़ खबरें, हर पल ताज़ा विश्वसनीय समाचार, हर नजरिए से सही देश-दुनिया की सबसे ताज़ा खबरें खबरें जो आपको बनाए रखें अपडेट तेज और विश्वसनीय खबरें, बस एक क्लिक दूर हर पल की ताज़ी खबर, बिना किसी झोल के खबरें जो आपको चौंका दें, हर बार जानिए हर अपडेट, सबसे पहले और सबसे सही जहाँ सच्चाई और ताजगी मिलती है

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के एक अलग स्वरूप को समर्पित होता है। इन नौ दिनों में श्रद्धालु मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियों का महत्व अन्य दिनों की तुलना में कहीं अधिक होता है।
29 सितंबर 2025 से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलने वाली अष्टमी तिथि को महाअष्टमी या दुर्गाष्टमी कहा जाता है। यह दिन शक्ति की उपासना और कन्या पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने, कन्या पूजन करने और मां दुर्गा की विशेष आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

नवरात्रि में अष्टमी तिथि की तरह ही नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। नवमी तिथि पर भी कन्या पूजन करने की परंपरा है। नवरात्रि का नौवां दिन महानवमी के नाम से जाता है और यह दुर्गा पूजा और नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। महानवमी तिथि माता दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा को समर्पित होता है। इस दिन कन्या पूजन और देवी दुर्गा पूजा व हवन करने का विधान होता है।

दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि 2025 की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 सितंबर, सोमवार शाम 4:31 बजे होगा और इसका समापन 30 सितंबर, मंगलवार शाम 6:06 बजे होगा।
हालांकि, उदयातिथि के अनुसार 30 सितंबर 2025 को महाअष्टमी पूजा की जाएगी।
इस दिन भक्त सुबह स्नान-ध्यान कर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष विशेष पूजा करते हैं। अष्टमी पर व्रत का विशेष महत्व होता है और भक्त दिनभर मां दुर्गा का ध्यान और भजन-कीर्तन करते हैं।

अष्टमी और नवमी दोनों दिनों पर कन्या पूजन की परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि 2 से 9 वर्ष की कन्याओं में मां दुर्गा का निवास होता है। इसी कारण इन्हें “कुमारी रूप में देवी” मानकर उनका पूजन किया जाता है।


जानकारी दे दें कि, इस दिन कन्याओं को आमंत्रित करके घर बुलाया जाता है, उनका श्रृंगार कर उन्हें देवी स्वरूप मानकर उनके चरण धोए जाते हैं और उनके सामने स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है। पारंपरिक रूप से कन्याओं को पूड़ी, चना और हलवा प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है। भोजन के बाद उन्हें उपहार, दक्षिणा और आशीर्वाद देकर विदा किया जाता है। यह पूजा शक्ति साधना का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।

बता दे कि, शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि केवल एक धार्मिक अवसर ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है। इस दिन भक्त न केवल मां दुर्गा की आराधना करते हैं, बल्कि कन्याओं में देवी के रूप का सम्मान कर समाज में नारी शक्ति को भी विशेष स्थान देते हैं। 2025 में 30 सितंबर को मनाई जाने वाली महाअष्टमी एक बार फिर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और भक्ति का अवसर प्रदान करेगी।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version