हिमाचल प्रदेश को सेब की भूमि कहा जाता है और इस बार का सीजन एक नया इतिहास रच गया है। जून से सितंबर 2025 तक भारी बारिश और भूस्खलनों के कारण कई इलाकों में सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। कई मार्ग तो पूरी तरह अवरुद्ध हो गए थे। इसके बावजूद, राज्य सरकार और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने सेब उत्पादकों व व्यापारियों की उम्मीदों को टूटने नहीं दिया। परिणामस्वरूप इस बार रिकॉर्ड 1.73 करोड़ 74 लाख 204 पेटियां (प्रति पेटी 20 किलो) सेब राज्य की मंडियों में पहुंचीं। यह पिछले साल की तुलना में लगभग 50 लाख पेटियां अधिक है, जो सेब व्यापार और बागवानों की मेहनत की बड़ी सफलता को दर्शाता है।
एचपीएमसी ने इस साल 55,000 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना से भी अधिक है. राज्यभर में 274 संग्रहण केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां सेब की खरीद सुचारू रूप से हो रही है. पराला (शिमला), परवाणू (सोलन) और जरोल (मंडी) स्थित एचपीएमसी फल प्रसंस्करण संयंत्र पूरी क्षमता से चल रहे हैं, प्रतिदिन लगभग 400 टन सेब का प्रसंस्करण किया जा रहा है.
सरकार की पहल और यूनिवर्सल कार्टन योजना
सीएम सुक्खू ने कहा कि लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और बागवानों के शोषण को रोकने के लिए यूनिवर्सल कार्टन योजना लागू की गई है. इससे छोटे और बड़े दोनों तरह के बागवानों को फायदा मिलेगा और सेब की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद मिलेगी.
सरकार की त्वरित पहलें
जून से सितंबर तक हुई लगातार बारिश और भूस्खलनों के कारण राज्य के कई हिस्सों में सड़कें टूट गई थीं। कई जगह मार्ग अवरुद्ध होने से बागवानों को डर था कि उनका फल समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों और व्यापारियों को किसी भी स्थिति में नुकसान न हो।
- क्षतिग्रस्त सड़कों की रिकॉर्ड समय में मरम्मत की गई।
- जहां संभव नहीं था, वहां अस्थायी मार्ग बनाए गए।
- परिवहन को तेज रखने के लिए अतिरिक्त ट्रक तैनात किए गए।
- सेब की समय पर ढुलाई सुनिश्चित करने के लिए 24 घंटे काम किया गया।
इन प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि बागवानों की मेहनत और उनका उत्पादन बाजार तक सही समय पर पहुंच सका।
बता दें कि, भले ही प्रकृति ने हिमाचल के सेब बागवानों की परीक्षा ली, लेकिन सरकार की तत्परता और बागवानों की मेहनत ने इस साल को रिकॉर्ड वर्ष बना दिया। 1.73 करोड़ से अधिक पेटियों की बिक्री न सिर्फ बागवानों के लिए राहत की खबर है, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था और बागवानी क्षेत्र के लिए भी एक मजबूत संकेत है। एचपीएमसी की सक्रिय भूमिका और यूनिवर्सल कार्टन योजना ने इस सफलता को और भी मजबूती दी है।
