नई दिल्ली, भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में अब निर्णायक मोड़ आ गया है। भारत ने अमेरिका के सामने अपना अंतिम (फाइनल) प्रस्ताव रख दिया है, जिसमें मांग की गई है कि भारत पर लगाए गए कुल 50% टैरिफ को घटाकर 15% किया जाए और रूस से कच्चे तेल की खरीद पर लगाई गई अतिरिक्त 25% पेनाल्टी को पूरी तरह हटा दिया जाए।
वार्ता के जानकारों का मानना है कि नए साल (2026) की शुरुआत में इस मामले में कोई ठोस फैसला निकल सकता है, हालांकि वाणिज्य सचिव ने कोई निश्चित समयसीमा नहीं बताई। भारत का यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन की नीतियां रूस पर सख्ती और वैश्विक व्यापार में संतुलन पर केंद्रित हैं। भारत ने स्पष्ट किया है कि रूसी तेल पर पेनाल्टी अनुचित है और इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए, क्योंकि भारत ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है।
अमेरिका ने भारत से आयातित कई वस्तुओं पर कुल 50% तक टैरिफ लगाया हुआ है। इसमें से 25% को ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ (जैसे को तैसा) कहा जाता है, जो अमेरिकी निर्यातकों पर भारत द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में है। शेष 25% टैरिफ विशेष रूप से रूस से तेल खरीदने के कारण लगाया गया है। अमेरिकी पक्ष का तर्क है कि भारत का रूसी तेल आयात अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध में रूस को सहायता पहुंचा रहा है। भारत का जवाब है कि यह पेनाल्टी गैर-आर्थिक और भेदभावपूर्ण है।
यह वार्ता भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के लिए महत्वपूर्ण है। यदि समझौता होता है, तो दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ेगा। भारत की रणनीतिक स्वायत्तता बनी रहेगी और अमेरिका के साथ संबंध मजबूत होंगे। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्ष सकारात्मक मूड में हैं, लेकिन अंतिम फैसला अमेरिकी पक्ष पर निर्भर करेगा। 2026 की शुरुआत में कोई बड़ा ऐलान संभव है। यह समझौता न केवल आर्थिक, बल्कि भू-राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा।