बीजेपी ने अपनी राजनीतिक रणनीति से एक बार फिर सभी को चौकाकर रख दिया है। केरल के उस शख्स को राज्यसभा भेजा है जिनके बारे में कहा जाता है कि वामपंथी हिंसा के वे शिकार हुए थे और दो पैर उनको अपने खोने पड़े थे।
नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम। केरल के कन्नूर जिले में 1994 में वामपंथी हिंसा का शिकार हुए सी. सदानंदन मास्टर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 जुलाई 2025 को राज्यसभा के लिए नामित किया। इस फैसले ने केरल की राजनीति में हलचल मचा दी है। 61 साल के सदानंदन मास्टर, जिनके दोनों पैर कथित तौर पर CPI(M) कार्यकर्ताओं ने काट दिए थे, अब भारतीय संसद के ऊपरी सदन में अपनी आवाज बुलंद करेंगे। यह नामांकन न केवल उनकी व्यक्तिगत जीवटता का सम्मान है, बल्कि केरल में दशकों से जारी वामपंथी हिंसा के खिलाफ एक प्रतीकात्मक कदम भी है। जैसे ही ये खबर देश को पता चली विपक्ष समेत की विपक्षी दल चौक गए।
हिंसा का शिकार, फिर भी नहीं टूटा हौसला
सदानंदन मास्टर का जन्म कन्नूर के पेरिनचेरी गांव में एक कम्युनिस्ट समर्थक परिवार में हुआ था। कॉलेज के दिनों में वे CPI(M) की छात्र शाखा SFI से जुड़े थे, लेकिन 1984 में RSS की विचारधारा से प्रभावित होकर उन्होंने संगठन जॉइन किया। यह बदलाव उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। 25 जनवरी 1994 को, जब वे अपनी बहन की शादी के लिए रिश्तेदारों को न्योता देने जा रहे थे, कथित तौर पर CPI(M) कार्यकर्ताओं ने उनकी कार पर हमला किया और उनके दोनों पैर काट दिए। हमलावरों ने पैरों को सड़क पर रगड़कर दोबारा जोड़ने की संभावना भी खत्म कर दी।
इस भयावह हमले के बावजूद, सदानंदन मास्टर ने हार नहीं मानी। कृत्रिम पैरों के सहारे वे न केवल सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय रहे, बल्कि त्रिशूर के पेरमंगलम में श्री दुर्गा विलासम हायर सेकेंडरी स्कूल में 25 वर्षों तक सामाजिक विज्ञान पढ़ाया और 2020 में रिटायर हुए। वे RSS के विभिन्न पदों, जैसे कन्नूर जिला सहकार्यवाहक और कोझिकोड-ठाणे में बौद्धिक प्रमुख, पर भी कार्यरत रहे।
BJP की रणनीति और वामपंथी हिंसा पर प्रहार
सदानंदन मास्टर का राज्यसभा नामांकन BJP की केरल में “विकसित केरलम” (Viksit Keralam) रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने कूथुपरंबा से BJP उम्मीदवार के रूप में हिस्सा लिया, जो कन्नूर का एक हिंसाग्रस्त क्षेत्र है। 2016 में उन्होंने 20,000 से अधिक वोट हासिल किए, हालांकि वे तीसरे स्थान पर रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी नामांकन की घोषणा के बाद X पर लिखा, “श्री सी. सदानंदन मास्टर का जीवन साहस और अन्याय के सामने न झुकने की मिसाल है। हिंसा और धमकियों ने उनके राष्ट्रीय विकास के प्रति उत्साह को कम नहीं किया। एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनके प्रयास सराहनीय हैं।”
2017 में BJP के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कन्नूर से तिरुवनंतपुरम तक 21 दिन की “जन रक्षा यात्रा” निकाली थी, जिसमें वामपंथी हिंसा को प्रमुखता से उठाया गया था। उस समय कन्नूर में RSS और BJP कार्यकर्ताओं के घरों पर हमले, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं। सदानंदन मास्टर का नामांकन उसी मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर लाने का प्रयास माना जा रहा है।
केरल की राजनीति में नया अध्यायकेरल में BJP का प्रभाव सीमित रहा है, लेकिन 2024 में त्रिशूर से सuresh गोपी की लोकसभा जीत ने पार्टी को नया जोश दिया है। सदानंदन मास्टर का नामांकन 2025 के स्थानीय निकाय चुनावों और 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले BJP कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है।
कन्नूर जैसे क्षेत्र, जहां CPI(M) का “पार्टी गांव” मॉडल प्रचलित है, वहां गैर-कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं को सामाजिक बहिष्कार और हिंसा का सामना करना पड़ता है। RSS और BJP के प्रयासों से कई ऐसे गांवों में अब अन्य दलों की मौजूदगी बढ़ी है, लेकिन इसकी कीमत 80 से अधिक स्वयंसेवकों की जान देकर चुकानी पड़ी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने इस नामांकन पर आपत्ति जताई है। AICC महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि राष्ट्रपति भवन आमतौर पर एम.एस. स्वामीनाथन जैसे प्रख्यात हस्तियों को नामित करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह नामांकन BJP की रणनीति का हिस्सा है।