रूस के कामचटका प्रायद्वीप में मंगलवार को आए 8.8 तीव्रता के भीषण भूकंप ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी। वैज्ञानिकों इस भूकंप के बारे में बताया है कि, यह 1952 के बाद का सबसे शक्तिशाली भूकंप है। इसकी तीव्रता इतनी अधिक थी कि सुनामी का खतरा तुरंत मंडराने लगा, जिसके चलते प्रशासन ने तटीय इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया। स्थानीय प्रशासन ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर लोगों को तटों से दूर सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है।
रिंग ऑफ फायर: भूकंप का केंद्र
कामचटका प्रायद्वीप प्रशांत महासागर के ‘रिंग ऑफ फायर’ में स्थित है, जो पृथ्वी का सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है। यह क्षेत्र लिथोस्फेरिक प्लेटों की गतिविधियों और टकराव के कारण जाना जाता है, जहां सक्रिय ज्वालामुखी और लगातार भूकंप आते रहते हैं। रिंग ऑफ फायर में दक्षिण अमेरिका (बोलीविया, चिली, इक्वाडोर, पेरू), मध्य अमेरिका (कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, मेक्सिको), उत्तरी अमेरिका (कनाडा, अमेरिका), और एशिया (जापान, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड) जैसे देश शामिल हैं। यह क्षेत्र पृथ्वी के 75% सक्रिय ज्वालामुखियों और 90% भूकंपों का गढ़ है।
आफ्टरशॉक्स का मंडरा रहा है खतरा
रूसी विज्ञान अकादमी ने साफ तौर पर ये चेतावनी जारी की है कि अगले कुछ दिनों में 7.5 तीव्रता तक के आफ्टरशॉक्स आ सकते हैं, जो एक महीने तक जारी रह सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये झटके पहले से क्षतिग्रस्त इमारतों को और कमजोर कर सकते हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में तबाही बढ़ सकती है।
सुनामी का खतरा और राहत कार्य जारी
भूकंप के बाद प्राशासन मुस्तैदी के साथ काम कर रहा है। सुनामी की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने तटीय क्षेत्रों को खाली कराने का आदेश दिया है। राहत और बचाव कार्य तेजी से शुरू किए गए हैं, लेकिन क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और ठंडा मौसम ने चुनौतियां पैदा कर दी है।
क्या कहता है वैज्ञानिक विश्लेषण
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, यह भूकंप प्रशांत प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव के कारण आया। कामचटका क्षेत्र में गहरे समुद्री गड्ढे (ट्रेंच) और ज्वालामुखीय गतिविधियां इसे भूकंप के लिए अति संवेदनशील बनाती हैं। रिंग ऑफ फायर में होने वाले भूकंपों की तीव्रता और आवृत्ति पृथ्वी की टेक्टोनिक गतिविधियों का परिणाम है।
दुनिया के लिए भी ये एक चेतावनी है
रिंग ऑफ फायर में होने वाली ऐसी घटनाएं न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी खतरे की घंटी हैं। यह भूकंप जापान, अलास्का और अन्य तटीय क्षेत्रों में भी सुनामी की लहरें पैदा कर सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि रिंग ऑफ फायर के अन्य हिस्सों में भी भूकंपीय गतिविधियां बढ़ सकती हैं। वहीं अन्य देशों की भी इस घटना ने चिंता बढ़ा दी है क्योंकि अगर हम भारत की ही बात करे तो आए दिन दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं। हालांकि अभी तक इतनी तीव्रता का भूकंप नहीं आया है जो कि खतरा बन सके लेकिन फिर भी खतरे की घंटी लगातार बज रही है।