नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से भारत – पाकिस्तान की लड़ाई को लेकर क्रेडिट लेने की कोशिश की है।। व्हाइट हाउस में खड़े होकर कह रहे हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान का झगड़ा सुलझा दिया, वो भी ऐसा झगड़ा जो परमाणु युद्ध तक जा सकता था। ये हम नहीं खुद ट्रंप बोल रहे हैं .. वे यहीं नहीं रूके कहते हैं कि पांच विमान मार गिराए गए, और उनकी मध्यस्थता से सब शांत हो गया।
भारत ने तो तुरंत ट्रंप की बात को हवा में उड़ा दिया है। हमारे UN में बड़े अधिकारी पार्वथनेनी हरीश ने साफ बोल दिया, “भाई, हमें मध्यस्थ की जरूरत नहीं। हम अपने हित के फैसले लेने के लिए स्वयं सक्षम हैं संभाल लेंगे।” इतना ही नहीं हरीश ने पाकिस्तान की भी पोल खोल दी, कहा कि वो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। हाल ही में पहलगाम में जो हमला हुआ, उसकी जिम्मेदारी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ नाम के आतंकी संगठन ने ली, जो पाकिस्तान से चलता है।
भारत ने साफ कर दिया कि हम आतंकवाद के खिलाफ डटकर लड़ेंगे, और अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे। तो भाई, राष्ट्रपति ट्रंप अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं ये कोई नई बात नहीं है वे आए दिन ऐसा कुछ न कुछ नया बोलते रहते हैं ताकि उनकी चर्चा होती रहे और सस्ती लोकप्रियता मिलती रहे। लेकिन शायद ट्रंप ये भूल रहे हैं कि वो दुनिया की एक महाशक्ति मुल्क के मुखिया हैं और उन्हें इस बात को अच्छे से समझना चाहिए कि वो क्या बोल रहे हैं क्योंकि उनके बोले गए शब्दों से न सिर्फ उनकी फजीहत होती है बल्कि पूरे अमेरिका की शाख भी गिरती है।