नई दिल्ली। हाल ही में संपन्न हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में राजनीतिक माहौल तब और गर्मा गया जब केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने विपक्षी गठबंधन के कुछ सांसदों का सार्वजनिक तौर पर धन्यवाद दिया। रिजिजू ने कहा कि विपक्ष के कुछ सांसदों ने राजग (NDA) उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को अपनी “अंतरात्मा की आवाज़” सुनकर वोट दिया।
बता दें कि, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि विपक्ष पूर्व जस्टिस सुदर्शन रेड्डी के पीछे एकजुट था और उसके सभी 315 सांसदों ने अभूतपूर्व 100 प्रतिशत मतदान के साथ उन्हें वोट दिया हालांकि, वरिष्ठ भाजपा नेता बीएल संतोष ने इसका खंडन किया और दावा किया कि मतदान मतपत्रों के माध्यम से हुआ और विपक्षी गठबंधन को अपने निर्धारित संख्या से 15 वोट कम मिले।
उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व
भारत में उपराष्ट्रपति का पद केवल औपचारिक नहीं है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति (Chairman) होते हैं और संसद की कार्यवाही में उनकी भूमिका बेहद अहम होती है। ऐसे में इस चुनाव का राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है।
- NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की छवि एक शांत और ईमानदार नेता की रही है।
- वहीं विपक्ष ने पूर्व जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया था।
लेकिन क्रॉस वोटिंग ने विपक्ष की रणनीति को कमजोर कर दिया।
जानकारी दे दें कि, उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में क्रॉस वोटिंग की परंपरा को चर्चा में ला दिया है। भाजपा और कांग्रेस के बीच बयानबाजी ने इस चुनाव को और विवादास्पद बना दिया है। जहां भाजपा इसे “अंतरात्मा की आवाज” बताकर नैतिक जीत मान रही है, वहीं कांग्रेस इसे “वोट चोरी अभियान” कह रही है।
