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लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (UPCAR) के 36वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि वैज्ञानिकों को सम्मानित किया और प्रदेश के कृषि परिदृश्य को लेकर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान कृषि उत्पादन की तुलना में तीन गुना अधिक उत्पादन करने की क्षमता है, बशर्ते वैज्ञानिक शोध, अनुसंधान और किसानों तक तकनीकी पहुंच को मजबूत बनाया जाए।

सीएम ने कहा कि कोई फसल एक महीने विलंब होगी और बीज वही पुराना है तो उसके प्रोड्क्शन पर भी 30 फीसदी तक असर होगा। सीएम ने पूछा कि क्या लेट वेरायटी के लिए किसानों को तैयार किया। बीज की उपलब्धता व डिमास्ट्रेशन के लिए किसान को प्रशिक्षित किया। यदि कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विवि, अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से समय पर सही जानकारी व डिमास्ट्रेशन से बताएंगे नहीं कि इस बीज से इसका इतना प्रोडक्शन लिया जा सकता है तो उसे विश्वास नहीं होगा। आज भी यदि वह पुरानी रणनीति के तहत पुरानी तकनीक पर आधारित खेती करने पर मजबूर है तो इसलिए, क्योंकि हम उसे केंद्रों तक लाने में विफल रहे हैं।

जानकारी दे दें कि, कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, प्रमुख सचिव रविंद्र, उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह, अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता आदि मौजूद रहे।

वैज्ञानिक खेती और बीज की उपलब्धता

योगी ने वैज्ञानिक खेती की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यदि बीज पुराना है या फसल की बुवाई में एक महीने की देरी होती है, तो उत्पादन में 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसान लेट वेरायटी बीजों के लिए तैयार किए गए हैं? क्या बीज की उपलब्धता और डिमॉन्स्ट्रेशन पर कार्य हुआ है?

बता दें कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश स्पष्ट है—कृषि ही उत्तर प्रदेश के विकास की कुंजी है। अनुसंधान, नवाचार और किसानों तक तकनीक की पहुंच सुनिश्चित कर ही प्रदेश कृषि उत्पादन को तीन गुना तक बढ़ा सकता है। यह न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा बल्कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में भी उत्तर प्रदेश की निर्णायक भूमिका सुनिश्चित करेगा।

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