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अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारतवंशियों और दक्षिण एशियाई समुदाय के खिलाफ नस्लीय हिंसा, ट्रोलिंग और हेट क्राइम की घटनाओं में खतरनाक इजाफा हुआ है।
ताजा रिपोर्टों के अनुसार, अक्टूबर 2025 तक ऑनलाइन ट्रोलिंग के मामलों में 91% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि मंदिरों और भारतीय समुदाय से जुड़े प्रतिष्ठानों पर हमलों में भी तेजी आई है। एच-1बी वीजा नीति में बदलाव, वीजा शुल्क में बढ़ोतरी और भारतीयों के निर्वासन ने अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है।

ट्रंप प्रशासन में बढ़ी ‘नफरत की राजनीति’

“सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ऑर्गनाइज्ड हेट” की हालिया रिपोर्ट बताती है कि नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच अमेरिका में भारतवंशियों और दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के खिलाफ नफरत अपराधों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
बाइडेन प्रशासन के कार्यकाल में जहां ऐसी घटनाएं सीमित थीं, वहीं ट्रंप की वापसी के बाद हालात नाटकीय रूप से बिगड़े।

विशेषज्ञों की राय: वैश्विक स्तर पर बढ़ रही नफरत

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका में यह ट्रेंड किसी एक प्रशासन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक दक्षिणपंथी उभार का हिस्सा है।
यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में भी प्रवासियों के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है।
अमेरिकी दक्षिणपंथी समूहों का आरोप है कि “भारतीय और एशियाई नागरिक अमेरिकी युवाओं की नौकरियां छीन रहे हैं” — यह मिथक सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से फैलाया जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह नस्लभेदी नैरेटिव आने वाले वर्षों में अमेरिका के सामाजिक सौहार्द पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

ट्रंप प्रशासन में एक बार फिर यह साबित हुआ है कि राजनीतिक बयानबाजी और कठोर इमिग्रेशन नीतियां समाज में विभाजन और हिंसा को जन्म देती हैं। भारतवंशियों पर बढ़ते हमले न केवल अमेरिकी लोकतंत्र के लिए चुनौती हैं, बल्कि यह बहुसांस्कृतिक सहअस्तित्व की भावना को भी चोट पहुंचा रहे हैं।

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