अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। रविवार को अमेरिकी चैनल सीबीएस न्यूज़ के लोकप्रिय कार्यक्रम “60 मिनट्स” के साथ दिए गए साक्षात्कार में ट्रंप ने दावा किया कि पाकिस्तान, रूस, चीन और उत्तर कोरिया जैसे देश सक्रिय रूप से परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं।
ट्रंप का बड़ा दावा: “कई देश कर रहे हैं गुप्त परमाणु परीक्षण”
साक्षात्कार के दौरान ट्रंप ने कहा,
“रूस और चीन परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन वे इस बारे में बात नहीं करते। हम एक खुला समाज हैं। हम इस बारे में बात करते हैं क्योंकि हमें पारदर्शिता में विश्वास है। लेकिन अगर हम चुप रहे, तो मीडिया सवाल उठाएगा। हम परीक्षण करेंगे क्योंकि वे कर रहे हैं — और पाकिस्तान तथा उत्तर कोरिया भी कर रहे हैं।”
ट्रंप के इस बयान ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि अब तक पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों को लेकर कोई आधिकारिक या स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है। पाकिस्तान ने आखिरी बार 1998 में चागई पर्वत श्रृंखला में परमाणु परीक्षण किया था, जिसके बाद उसने बार-बार यह दावा किया कि वह “केवल रक्षात्मक नीति” अपनाता है।
अमेरिका में फिर उठी ‘न्यूक्लियर टेस्टिंग’ बहस
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के पास दुनिया को 150 बार नष्ट करने लायक परमाणु क्षमता पहले से मौजूद है, लेकिन अगर बाकी देश परीक्षण कर रहे हैं तो अमेरिका को भी ऐसा करना चाहिए ताकि “संतुलन” बना रहे।
“हमारे पास इतनी शक्ति है कि हम पूरी दुनिया को 150 बार मिटा सकते हैं। लेकिन यह शक्ति बेकार है अगर बाकी देश अपने हथियारों को बेहतर बनाते जा रहे हैं और हम चुप बैठे रहें,” ट्रंप ने कहा।
ट्रंप के इस बयान ने अमेरिका के अंदर भी न्यूक्लियर टेस्टिंग पर विभाजन पैदा कर दिया है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप का बयान डर पैदा करने वाली राजनीतिक रणनीति है, जबकि कुछ इसे “यथार्थवादी चेतावनी” बता रहे हैं।
उत्तर कोरिया की भूमिका: लगातार मिसाइल परीक्षण जारी
ट्रंप ने अपने बयान में उत्तर कोरिया का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि किम जोंग उन का शासन “खुले तौर पर मिसाइल और परमाणु परीक्षण” कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की परवाह नहीं कर रहा।
उत्तर कोरिया ने पिछले दो वर्षों में कई लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं, जिनकी रेंज अमेरिका तक पहुंचने में सक्षम बताई जाती है। ट्रंप का कहना था कि अगर बाकी देश ऐसे परीक्षण कर रहे हैं, तो अमेरिका को निष्क्रिय रहना “कमजोरी का संकेत” होगा।
वैश्विक सुरक्षा पर गहराते खतरे
ट्रंप के बयान ने वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। यदि प्रमुख परमाणु शक्तियां दोबारा परीक्षण शुरू करती हैं, तो यह 1990 के दशक के बाद पहली बार होगा जब दुनिया में नई परमाणु दौड़ (Nuclear Arms Race) शुरू होगी।
अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में फिलहाल 9 देशों के पास 12,000 से अधिक परमाणु हथियार हैं, जिनमें 90% से ज्यादा अमेरिका और रूस के पास हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन, भारत और पाकिस्तान अपने परमाणु कार्यक्रमों का विस्तार कर रहे हैं।
अमेरिकी रणनीति पर क्या असर होगा?
अमेरिका ने 1992 के बाद से कोई पूर्ण परमाणु परीक्षण नहीं किया है। उसके बाद सभी परीक्षण कंप्यूटर सिमुलेशन और प्रयोगशालाओं तक सीमित रहे हैं।
यदि ट्रंप का सुझाव लागू होता है, तो यह तीन दशकों की नीति में बदलाव होगा।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिका की “डिटरेंस पॉलिसी” (Deterrence Policy) को मजबूत करेगा, लेकिन इससे दुनिया भर में तनाव भी बढ़ सकता है।
NATO के सहयोगी देशों ने पहले ही कहा है कि किसी भी नए परमाणु परीक्षण से वैश्विक स्थिरता को खतरा होगा।
ट्रंप के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया
डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने ट्रंप के इस बयान की आलोचना की है। सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने कहा,
“ऐसे बयान वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं। हमें शांति और निरस्त्रीकरण की दिशा में बढ़ना चाहिए, न कि नई परमाणु होड़ की ओर।”
वहीं, रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेता ट्रंप के समर्थन में आए और कहा कि “अगर दूसरे देश परीक्षण कर रहे हैं, तो अमेरिका को भी अपनी सुरक्षा के लिए ऐसा करना होगा।”
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान केवल अमेरिका के भीतर की राजनीतिक बहस नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए चेतावनी जैसा है। अगर वाकई पाकिस्तान, रूस, चीन और उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण शुरू किए हैं, तो यह नई हथियार दौड़ की शुरुआत साबित हो सकती है। ऐसे में वैश्विक समुदाय के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह “डिटरेंस” और “डिसआर्मामेंट” के बीच संतुलन कैसे बनाए रखे।
