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नईदिल्ली यूनेस्को द्वारा दिवाली (दीपावली) को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल करने की खुशी व्यक्त की गई है। यह वाकई भारत के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण है। 10 दिसंबर 2025 को दिल्ली के लाल किले में आयोजित यूनेस्को की 20वीं इंटरगवर्नमेंटल कमेटी की बैठक में यह घोषणा हुई, जिसमें दीपावली को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में स्थान दिया गया।

दिवाली को विश्व धरोहर में शामिल किया जाना केवल औपचारिक मान्यता नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि भारत की सांस्कृतिक ताकत समय, सीमाओं और भाषाओं से कहीं आगे है। यूनेस्को के इस फैसले के बाद त्योहार को परंपरा से उठाकर वैश्विक पहचान की ऊंचाई पर पहुँचा दिया।

क्यों महत्वपूर्ण है यह मान्यता?

  • सांस्कृतिक प्रभाव: दीपावली को “अंधकार पर प्रकाश की विजय” के रूप में वर्णित किया गया है, जो भारत के साथ-साथ वैश्विक प्रवासी समुदायों द्वारा मनाया जाता है। यह घरों की साफ-सफाई, दीप जलाना, आतिशबाजी और प्रार्थना जैसी परंपराओं को संरक्षित करेगा।
  • आर्थिक लाभ: पर्यटन, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा।
  • आध्यात्मिक आयाम: यह भारत की सहिष्णुता और पारिवारिक मूल्यों को वैश्विक संदेश देता है।

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