नई दिल्ली संसद का शीतकालीन सत्र इस बार कई गंभीर मुद्दों के बीच तेज राजनीतिक तापमान का केंद्र बना हुआ है। पहले पांच दिनों में से तीन दिन जोरदार हंगामे के नाम रहे, जहां विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार को कई राष्ट्रीय मुद्दों पर घेरा। SIR और BLO कर्मियों की मौतों का मामला, इंडिगो एयरलाइन के संकट की स्थिति और देश के कई बड़े शहरों में बढ़ते प्रदूषण का मुद्दा लगातार चर्चा में छाया रहा। इसी माहौल के बीच सोमवार को लोकसभा में एक नए विषय ने राजनीतिक बहस को नया मोड़ दिया—वंदे मातरम् पर विशेष चर्चा।
गौरतलब हैं कि, प्रियंका गांधी ने कहा- ये गीत 150 साल से देश की आत्मा का हिस्सा है. देश क लोगों के दिल में बसा है. 75 साल से ये देश में है. आज इस पर बहस की चर्चा क्यों हो रही है. मकसद क्या है इसका. जनता का विश्वास, दायित्व उनके प्रति हमारी जिम्मेदारी हम कैसे निर्वाहन कर रहे हैं.
पीएम ने की चर्चा की शुरुआत, बताया ‘ऐतिहासिक क्षण’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम् पर विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि देश की आत्मा, संघर्ष और स्वतंत्रता के भाव का प्रतीक है। उन्होंने इसे संसद के लिए “ऐतिहासिक क्षण” बताया और कहा कि यह पहली बार है जब राष्ट्रगीत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को सदन में विशेष तरीके से समझने और सम्मान देने का अवसर मिल रहा है।
संसद में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने वंदे मातरम् पर चर्चा को लेकर सरकार पर सीधा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह गीत 150 साल से भारत की संस्कृति और आत्मा का अभिन्न हिस्सा रहा है। 75 साल से यह स्वतंत्र भारत का परिचय है, यह लोगों के दिलों में बस चुका है। ऐसे में अचानक संसद में इसकी विशेष चर्चा क्यों?
बता दें कि, संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम् पर यह विशेष चर्चा फिलहाल एक नया राजनीतिक विमर्श पैदा कर चुकी है। जहां एक ओर सरकार इसे देश की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान बताती है, वहीं विपक्ष इसे “चुनावी मुद्दा” बनाने का आरोप लगा रहा है। आने वाले दिनों में यह बहस और गहराएगी या शांत होगी—यह सत्र के आगे के घटनाक्रम पर निर्भर करेगा। लेकिन इतना साफ है कि वंदे मातरम् एक बार फिर भारतीय राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया है।
