दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक को लोकसभा में पेश किया। चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने विधेयक का जोरदार विरोध किया। कांग्रेस, सपा, एनसीपी, टीएमसी, डीएमके, मुस्लिम लीग से लेकर एआईएमआईएम तक, सभी विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक के विरोध में दलीलें दीं। करीब-करीब सभी सदस्यों ने विधेयक को संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया। कुछ सदस्यों ने कहा कि अगर मंदिरों के प्रबंधन में कोई गैर-हिंदू नहीं हो सकता है तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम को लाने का प्रावधान करके भेदभाव को बल दिया जा रहा है। हालांकि, जेडीयू सांसद और पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इसका बेहद तार्किक ढंग से इसका खंडन किया। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड संसद के कानून से बनी संस्था है जबकि मंदिर कानून से नहीं बनता है। मंदिर से वक्फ बोर्ड की तुलना नहीं हो सकती। अगर मस्जिदों की गवर्निंग बॉडी में कोई दखल दिया जाता तो निश्चित रूप से सवाल उठाए जाते, लेकिन कानून से बनी कोई संस्था अगर निरंकुश हो जाए तो उसमें सुधार की जरूरत है। बहरहाल आइए जानते हैं कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2024 के विरोध में किसने क्या दलीलें दीं…
धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला
संविधान का अनुच्छेद 26 का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए प्रस्ताव रखा गया है कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे। क्या कोई सोच सकता है कि कोई गैर-हिंदू अयोध्या मंदिर के गवर्निंग बोर्ड का सदस्य हो सकता है? इसलिए यह प्रस्ताव धर्म और आस्था पर सीधा हमला है।धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला
संविधान का अनुच्छेद 26 का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए प्रस्ताव रखा गया है कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे। क्या कोई सोच सकता है कि कोई गैर-हिंदू अयोध्या मंदिर के गवर्निंग बोर्ड का सदस्य हो सकता है? इसलिए यह प्रस्ताव धर्म और आस्था पर सीधा हमला है।
➤ यह विधेयक चुनावी हित साधने के लिए लाया गया है
आपने यह विधेयक महाराष्ट्र, हरियाणा के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लाया है।
➤ संघीय भावना के खिलाफ है
वक्फ बोर्ड को लेकर सारे काम राज्यों द्वारा होते हैं। राज्य ही नियम बनाते हैं, आंकड़े इकट्ठा करते हैं, आप ये सब छीनकर केंद्र को देना चाहते हैं।
➤ वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने की मंशा
संसद के बाहर 200 साल पुरानी मस्जिद है। किसी को पता नहीं कि मस्जिद की संपत्ति की देखरेख कैसे होती है। आप ‘वक्फ बाय यूज’ का प्रावधान हटाकर आप ऐसी मस्जिदों को विवाद में लाना चाहते हैं जिनके पास संपत्ति की कोई डीड नहीं है। आप पिछली तारीखों से सारी संपत्तियों पर कब्जा करना चाहते हैं जिनकी कोई डीड नहीं है।