न्यूयॉर्क सिटी में एक बार फिर भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का संगम देखने को मिला। डेमोक्रेटिक पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार जोहरान ममदानी ने एक गुरुद्वारे में भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि “मोदी और उनकी सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की नीति अपनाती है।” इस बयान के बाद भारतीय सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में जबरदस्त प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
गुरुद्वारे में विवादित बयान से भड़की बहस
शुक्रवार को न्यूयॉर्क के एक गुरुद्वारे में समुदाय से संवाद के दौरान ममदानी ने कहा कि वर्तमान मेयर एरिक एडम्स ने न सिर्फ शहर में रहना बेहद महंगा कर दिया है, बल्कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं। ममदानी ने दावा किया कि यह वही सरकार है जो “हमारी कम्युनिटी के खिलाफ हिंसा की नीति अपनाती है।”
प्रियंका चतुर्वेदी का तीखा पलटवार
भारत में राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि, “न्यूयॉर्क के लोग किसे मेयर चुनते हैं, यह उनका निर्णय है, लेकिन जोहरान ममदानी ने गुरुद्वारे में जो बातें कहीं, वह बेहद परेशान करने वाली हैं। क्या उनकी स्क्रिप्ट गुरपतवंत सिंह पन्नू लिख रहा है?”
प्रियंका चतुर्वेदी का यह बयान सीधा इशारा खालिस्तानी समर्थक संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू की ओर था, जो लंबे समय से भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है।
भारतीय समुदाय में आक्रोश
न्यूयॉर्क में बसे भारतीय समुदाय के कई सदस्यों ने ममदानी के बयान की निंदा की। उनका कहना है कि गुरुद्वारा जैसे धार्मिक स्थल पर राजनीति करना अनुचित है। समुदाय के एक प्रतिनिधि ने कहा, “अगर कोई उम्मीदवार चुनाव प्रचार करना चाहता है, तो उसे राजनीतिक मंचों पर आना चाहिए, न कि धार्मिक स्थलों पर। भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाना किसी भी जिम्मेदार नेता को शोभा नहीं देता।”
कूटनीतिक संवेदनशीलता पर उठे सवाल
भारत और अमेरिका के बीच संबंध हाल के वर्षों में और मजबूत हुए हैं। रक्षा, तकनीक, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों ने कई अहम समझौते किए हैं। ऐसे में न्यूयॉर्क जैसे वैश्विक शहर में एक स्थानीय नेता द्वारा भारत पर इस तरह के आरोप लगाना कूटनीतिक दृष्टि से भी संवेदनशील माना जा रहा है।
बतास दें कि, जोहरान ममदानी के बयान ने न केवल न्यूयॉर्क की स्थानीय राजनीति को गरमा दिया है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों में भी एक नया विवाद जोड़ दिया है। एक ओर जहां यह बयान फ्री स्पीच बनाम जिम्मेदारी की बहस को जन्म देता है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या राजनीतिक लाभ के लिए भारत और उसकी सरकार को निशाना बनाना अब एक चुनावी रणनीति बन चुकी है?
