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अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद मानवीय टिप्पणी करते हुए कहा कि “भारत में कोई भी यह नहीं मानता कि यह पायलट की गलती थी।” न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने 91 वर्षीय पुष्कर राज सभरवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, डीजीसीए और अन्य संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने कहा कि प्रारंभिक एएआईबी रिपोर्ट में पायलट की ओर से किसी भी तरह की गलती का संकेत नहीं दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) की चल रही जाँच स्वतंत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं विमान के कमांडर का पिता हूँ…

AAIB की रिपोर्ट में पायलट निर्दोष

न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने अदालत में यह उल्लेख किया कि प्रारंभिक एएआईबी (Aircraft Accident Investigation Bureau) रिपोर्ट में पायलट की किसी भी गलती का संकेत नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार हादसे का कारण तकनीकी गड़बड़ी, मौसम की स्थिति या यांत्रिक असफलता जैसे कारक हो सकते हैं।

हालांकि रिपोर्ट अभी अंतरिम है, और अंतिम निष्कर्ष आने में कुछ समय लगेगा। अदालत ने केंद्र और एएआईबी से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

बता दें कि, यह हादसा जून 2025 में हुआ था, जब एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे पर लैंडिंग के दौरान नियंत्रण खो बैठा था। विमान में 260 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे। विमान में आग लग गई और कई लोग बाहर निकल नहीं पाए।घटनास्थल पर मौजूद सूत्रों के अनुसार, कैप्टन सुमीत सभरवाल ने अंतिम क्षणों तक विमान को यात्रियों से दूर रखने की कोशिश की, जिससे कई जानें बचीं।

पायलट के पिता ने अपनी याचिका में कहा है कि “विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की वर्तमान जांच कई प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ रही है।” उनका तर्क है कि बोइंग विमानों से जुड़ी वैश्विक सुरक्षा चिंताएँ लंबे समय से बनी हुई हैं, और इसी कारण जांच को किसी स्वतंत्र न्यायिक निगरानी में कराया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दुर्घटना के बाद से एयर इंडिया और डीजीसीए ने अब तक कोई सार्वजनिक स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है, जिससे पीड़ित परिवारों में असंतोष और भ्रम की स्थिति है।

बता दें कि, अदालत ने यह संकेत दिया कि यदि एएआईबी की जांच रिपोर्ट में पारदर्शिता की कमी पाई गई, तो कोर्ट स्वयं किसी स्वतंत्र समिति की निगरानी में जांच का आदेश दे सकता है। यह भारत के विमानन इतिहास का संभवतः पहला मामला होगा जब सुप्रीम कोर्ट किसी एयरक्राफ्ट दुर्घटना जांच की न्यायिक निगरानी करेगा।

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