बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और प्रदेश की सियासत में हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक दलों ने चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है, वहीं एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) में सीट बंटवारे को लेकर चर्चाएँ लगातार सुर्खियों में हैं। लंबे समय से चल रही इस चर्चा में अब एक अहम मोड़ आया है, जब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपनी नाराज़गी दूर होने की घोषणा की। उन्होंने साफ किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उन्हें अपने सम्मान को लेकर कोई चिंता नहीं है।
हम सभी छोटे मुद्दों, सीटों, उम्मीदवारों और प्रचार पर चर्चा करना चाहते हैं। मीडिया के सवालों पर उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के होने पर उन्हें अपने सम्मान की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, और इसलिए उन्हें किसी बात की चिंता नहीं है।
सीट शेयरिंग पर अंतिम चरण में चर्चा
एनडीए में भाजपा, जदयू और लोजपा (रामविलास) के बीच सीट शेयरिंग को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, अब यह चर्चा अंतिम चरण में पहुंच गई है। गठबंधन का प्रयास है कि हर दल की ताकत और राजनीतिक स्थिति के अनुरूप सीटों का बंटवारा किया जाए ताकि चुनावी मैदान में कोई मतभेद न रह जाए।
बता दें कि, कुछ समय पहले तक चिराग पासवान एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर नाराज़ नज़र आ रहे थे। उनके बयानों से यह संकेत मिल रहा था कि अगर उनकी पार्टी की सीटों की हिस्सेदारी कम की गई, तो वे अलग राह भी अपना सकते हैं। लेकिन हालिया बयान से साफ है कि उन्होंने गठबंधन की एकजुटता को प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनके विश्वास ने यह भी दिखाया है कि वे एनडीए के भीतर सम्मान और भरोसे के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।
चुनावी रणनीति और प्रचार
बैठक में केवल सीट बंटवारे ही नहीं बल्कि प्रचार की रणनीति पर भी चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि एनडीए एक संयुक्त रणनीति के तहत बड़े नेताओं की रैलियों, घोषणापत्र और सोशल मीडिया कैंपेन को आगे बढ़ाएगा। भाजपा की मजबूत संगठन क्षमता, जदयू का क्षेत्रीय प्रभाव और लोजपा (रामविलास) का दलित समाज में समर्थन—ये सभी मिलकर एनडीए के चुनावी समीकरण को मजबूत कर सकते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सीट बंटवारे का यह अध्याय एनडीए के लिए बेहद अहम है। चिराग पासवान का यह बयान कि “पीएम मोदी हैं तो सम्मान की चिंता नहीं” न केवल उनके राजनीतिक रुख को दर्शाता है बल्कि गठबंधन की स्थिरता और एकजुटता का संकेत भी देता है। आने वाले दिनों में जब सीटों का औपचारिक एलान होगा, तब यह साफ हो जाएगा कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिलीं। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि एनडीए अंदरूनी विवादों से उबरकर चुनावी मैदान में उतरने की दिशा में अग्रसर है।
