बिहार की सियासत इस समय पूरे उफान पर है। विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। एक तरफ महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर अब भी सहमति नहीं बन पाई है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने चुनावी अभियान को रफ्तार दे दी है। इसी क्रम में आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार के दो जिलों — औरंगाबाद के गोह तथा वैशाली के पातेपुर — में विशाल जनसभाओं को संबोधित करेंगे।
बिहार की सियासत इन दिनों चरम पर है। बिहार में महागठबंधन सीट शेयरिंग को लेकर अभी भी चर्चा में है। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अब बिहार में बड़े-बड़े नेताओं का जमावड़ा और रैली शुरू हो रही है। आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा औरंगाबाद के गोह और वैशाली के पातेपुर में विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। वहीं, बिहार चुनाव को लेकर पार्टियों के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।
भाजपा ने तेज की चुनावी तैयारी
भाजपा ने इस बार बिहार चुनाव को लेकर व्यापक रणनीति बनाई है। पार्टी की कोशिश है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “डबल इंजन सरकार” के मॉडल को फिर से जनता के बीच मजबूत ढंग से पेश करे। जेपी नड्डा की ये रैलियां उसी रणनीति का हिस्सा हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नड्डा इन जनसभाओं में केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, हर घर जल, और गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर घमासान
वहीं दूसरी तरफ, महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल, और कुछ छोटे सहयोगी दल) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तनातनी अब भी बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार, आरजेडी अधिक सीटों की मांग पर अडिग है, जबकि कांग्रेस अपने पारंपरिक गढ़ों को छोड़ने को तैयार नहीं। यही वजह है कि महागठबंधन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस बार-बार टल रही है।
तेजस्वी यादव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद अब तक कोई ठोस फार्मूला नहीं निकल सका है।
जदयू की स्थिति भी दिलचस्प
नीतीश कुमार की जदयू फिलहाल एनडीए का हिस्सा है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि सीटों को लेकर जदयू और भाजपा में भी आंतरिक मतभेद की स्थिति है। पिछली बार जदयू को 43 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार भाजपा के भीतर यह मांग उठ रही है कि जदयू को कम सीटें दी जाएं।
हालांकि, दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने सार्वजनिक रूप से किसी मतभेद से इनकार किया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि “एनडीए एकजुट है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में विकास का काम जारी रहेगा।”
भाजपा की ओर से जेपी नड्डा की रैलियां बिहार चुनावी अभियान की औपचारिक शुरुआत मानी जा रही हैं। वहीं, महागठबंधन के भीतर की खींचतान से विपक्ष की मुश्किलें बढ़ी हैं। ऐसे में आने वाले कुछ सप्ताह बिहार की सियासत में बेहद निर्णायक साबित होंगे।
भाजपा ने तेज की चुनावी तैयारी
भाजपा ने इस बार बिहार चुनाव को लेकर व्यापक रणनीति बनाई है। पार्टी की कोशिश है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “डबल इंजन सरकार” के मॉडल को फिर से जनता के बीच मजबूत ढंग से पेश करे। जेपी नड्डा की ये रैलियां उसी रणनीति का हिस्सा हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नड्डा इन जनसभाओं में केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, हर घर जल, और गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर घमासान
वहीं दूसरी तरफ, महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल, और कुछ छोटे सहयोगी दल) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तनातनी अब भी बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार, आरजेडी अधिक सीटों की मांग पर अडिग है, जबकि कांग्रेस अपने पारंपरिक गढ़ों को छोड़ने को तैयार नहीं। यही वजह है कि महागठबंधन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस बार-बार टल रही है। तेजस्वी यादव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद अब तक कोई ठोस फार्मूला नहीं निकल सका है।