बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीटों का बंटवारा आखिरकार अंतिम रूप ले चुका है। भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (JDU) दोनों ही पार्टियों ने इस बार बराबरी के आधार पर चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। इस बार भाजपा और JDU 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी LJP को 29 सीटें मिली हैं। इसके अलावा जीतन राम मांझी की हम पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक महासभा (RLM) को छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा।
जानकारी दे दें कि, शुरुआत में जदयू की ओर से सबसे ज्यादा सीटों पर लड़ने का दवाब बनाया जा रहा था, लेकिन भाजपा नेताओं ने यह समझा लिया कि लोजपा को समाहित करने के लिए थोड़ी ज्यादा सीटें देनी होगी और यह तभी संभव होगा, जब जदयू भी सहयोग करे। अब वह फार्मूला पूरी तरह तय हो गया, जिसमें हर सीट पर राजग का एक ही उम्मीदवार होगा। इसके साथ ही रविवार को दिल्ली में भाजपा चुनाव समिति की भी बैठक हुई और भाजपा ने अपने ज्यादातर नाम तय कर लिए हैं।
भाजपा और JDU का बराबरी वाला फार्मूला
इस बार भाजपा और JDU ने समान रूप से 101–101 सीटें लड़ने का निर्णय लिया है। प्रारंभिक चर्चा में यह सवाल उठ रहा था कि जदयू को अधिक सीटें क्यों नहीं मिलीं, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच संतुलन बनाना और गठबंधन में सभी दलों को समाहित करना मुख्य कारण रहा। इस बार यह फार्मूला इसलिए तैयार किया गया है ताकि हर सीट पर सिर्फ NDA का एक उम्मीदवार ही मैदान में उतरे और वोट बंटने की संभावना खत्म हो।
LJP को मिली बढ़ी सीटें
चिराग पासवान की LJP को शुरुआत में 22 सीटें देने का विचार था, लेकिन पार्टी के रुख और क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए यह संख्या बढ़ाकर 29 कर दी गई। भाजपा और जदयू दोनों ने यह सुनिश्चित किया कि LJP का गठबंधन में प्रभाव बना रहे और उसके समर्थक वर्ग को ध्यान में रखते हुए सीटों का आवंटन किया गया। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम NDA की रणनीति का हिस्सा है ताकि राजग की ताकत सभी क्षेत्रों में मजबूत बनी रहे और चुनावी मोर्चे पर एकजुटता दिखाई दे।
भविष्य की राजनीतिक संभावनाएं
राजग के इस सीट शेयरिंग फार्मूले से यह साफ संकेत मिलता है कि बिहार में NDA एकजुट होकर चुनाव लड़ने का प्रयास कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार सीटों के संतुलित आवंटन और गठबंधन की सामूहिक रणनीति से NDA को अधिक सीटों पर जीत हासिल होने की संभावना बढ़ जाएगी। वहीं, महागठबंधन के लिए अब चुनौती यह होगी कि वह अपने भीतर सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन में संतुलन बनाए रखे।
बता दें कि, NDA का यह निर्णय बिहार चुनाव 2025 के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। भाजपा और जदयू के बीच बराबरी वाला फार्मूला, LJP को अतिरिक्त सीटें और छोटे दलों को भी मौका देने से गठबंधन में एकजुटता दिखाई देती है। इससे वोटरों के बीच यह संदेश जाएगा कि सभी NDA सदस्य दल मिलकर बिहार में विकास और स्थिरता का एजेंडा लेकर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।