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बिहार में ऐतिहासिक जीत और सत्ता में वापसी के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अब अपनी चुनावी रणनीति का अगला बड़ा पड़ाव पश्चिम बंगाल को बनाया है। राज्य में कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और इस बार पार्टी ने पहले से कहीं अधिक आक्रामक, संगठित और जमीनी तैयारी का ऐलान कर दिया है। इसी क्रम में ‘ऑपरेशन पश्चिम बंगाल’ की शुरुआत करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संगठन की एक विशेष टीम और शीर्ष नेताओं को राज्य में तैनात कर दिया है, जो आने वाले पांच महीनों तक लगातार वहीं रहकर चुनावी जमीन मजबूत करेंगे।

राष्ट्रीयसुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण भाजपा इस इलाके को काफी अहम मान रही है। जबकि राढ़बंगा क्षेत्र की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के संगठन मंत्री पवन साई को दी गई है। पवन साई के साथ उत्तराखंड सरकार के मंत्री धन सिह रावत को लगाया गया है। उनका जोर पुरुलिया और वर्धमान जैसे इलाकों में भाजपा की जमीन मजबूत करने की होगी।

क्यों बंगाल है भाजपा के लिए सबसे बड़ा मिशन?

पश्चिम बंगाल की राजनीति को अब राष्ट्रीय राजनीति की दिशा तय करने वाला केंद्र माना जा रहा है—

कारणमहत्व
TMC बनाम BJP का सीधा मुकाबलाकांग्रेस-बाम कमजोर
राष्ट्रीय राजनीति पर बंगाल का असरलोकसभा समीकरण में बढ़ता योगदान
हिंद-बांग्ला क्षेत्र में वैचारिक पकड़भाजपा का विस्तार एजेंडा
सुदूर पूर्व और सीमा क्षेत्रों का महत्वसुरक्षा व रणनीतिक प्राथमिकता
शुभेंदु अधिकारी जैसी स्थानीय ताकतTMC को सीधी चुनौती

बता दें कि, पश्चिम बंगाल में BJP का ‘ऑपरेशन’ राजनीतिक तापमान को पहले ही तेज कर चुका है। अमित शाह की सीधी निगरानी में बनाई गई यह टीम बंगाल के प्रत्येक क्षेत्र में चुनावी मशीनरी को पूरी गति से काम में लगा चुकी है। राज्य की राजनीति में यह एक निर्णायक बदलाव का संकेत है—जो आने वाले महीनों में और स्पष्ट दिखेगा। अब देखना यह होगा कि BJP का यह आक्रामक मिशन टीएमसी के किले में सेंध लगाने में कितना सफल होता है और क्या बिहार-महाराष्ट्र की रणनीति बंगाल में भी अपना कमाल दिखा पाती है।

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