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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया को संगठन पुनर्निर्माण का केंद्रीय स्तंभ मानते हुए इसे गति देना शुरू कर दिया है। गुजरात, मध्यप्रदेश और हरियाणा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मिली सफलता से उत्साहित कांग्रेस अब पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड और ओडिशा में भी इसी मॉडल को लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।

संगठन सृजन पर कांग्रेस का जोर

पार्टी की रणनीति साफ है कि संगठन को केवल शीर्ष स्तर से नहीं, बल्कि जमीनी ढांचे से मजबूत किया जाए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जिला इकाइयाँ ही पार्टी की रीढ़ हैं। इसलिए, उनकी नियुक्ति केवल रस्म अदायगी न होकर एक सुव्यवस्थित और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हो।

अब चार राज्यों में नई शुरुआत

जानकारी दे दें कि, हरियाणा और मध्यप्रदेश की सफलता ने कांग्रेस को प्रेरित किया है। इसके बाद पार्टी ने पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड और ओडिशा में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है। इन राज्यों में जल्द ही जिला अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी।

जिला अध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया ने कांग्रेस को नई उम्मीद दी है। इससे संगठनात्मक ढांचा मजबूत होगा, गुटबाजी पर नियंत्रण मिलेगा और स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की ऊर्जा बढ़ेगी।

बता दें कि,पार्टी नेतृत्व मानता है कि संगठन को पुनर्जीवित किए बिना चुनावी राजनीति में मजबूती संभव नहीं। इसलिए आने वाले महीनों में यह अभियान कांग्रेस के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। खरगे और राहुल गांधी का सीधा संवाद और जिला अध्यक्षों को राजनीतिक ताकत देना इस दिशा में बड़ा बदलाव है।

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