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नई दिल्ली। भारत की तरफ से एक खबर उड़ते हुए चीन के कानों तक क्या गई उसके होश उड़ गए। दरअसल दलाई लामा, जो तिब्बती धर्मगुरु हैं और धर्मशाला में रहते हैं, वो फिर से सुर्खियों में हैं। 90वें जन्मदिन पर उन्होंने ऐलान किया कि उनका उत्तराधिकारी गादेन फोडरंग ट्रस्ट चुनेगा। बस, ये बात चीन को चुभ गई और वो भड़क उठा।

वहीं भारत के सांसदों का एक सर्वदलीय ग्रुप, जिसमें 80 सांसद शामिल हैं, सभी ने दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग उठा दी है। सुजीत कुमार, जो इस फोरम में हैं, उन्होंने साफ कहा है कि, “चीन को दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने का कोई हक नहीं।” अब ये ग्रुप तिब्बत का मुद्दा संसद से लेकर हर मंच पर उठाने वाला है।

दलाई लामा को मिलेगा भारत रत्न?

दलाई लामा 1959 से धर्मशाला में रह रहे हैं और तिब्बतियों के हक के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं। 1989 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला है। अगर उन्हें भारत रत्न मिलता है, तो ये तिब्बती समुदाय के लिए बड़ा नैतिक समर्थन होगा। साथ ही, भारत दुनिया को बता देगा कि वो धार्मिक आज़ादी और मानवाधिकारों के साथ खड़ा है। चीन भले ही बवाल करे, लेकिन ये कदम भारत की विदेश नीति में गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

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