दिल्ली में बिना बारिश के भी वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार देखने को मिला है, हालांकि राजधानी की हवा अभी भी ‘खराब’ श्रेणी से ऊपर नहीं उठ पाई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 294 दर्ज किया गया, जो “खराब” श्रेणी में आता है। यह एक दिन पहले दर्ज 305 के मुकाबले थोड़ा बेहतर जरूर है, लेकिन राहत की उम्मीद अब भी दूर नजर आ रही है।
सबसे प्रदूषित रहा ये इलाका
सीरीफोर्ट 347 एक्यूआइ के साथ सबसे प्रदूषित स्थान रहा। इसके बाद वजीरपुर 332 के साथ दूसरे स्थान पर रहा। सीपीसीबी के समीर एप के अनुसार, सुबह सीरीफोर्ट में 351 और वज़ीरपुर में 342 एक्यूआइ दर्ज किया गया था। लेकिन बीच बीच में हवा चलने से इस स्थिति में थोड़ा सुधार होता गया।
सीरीफोर्ट सबसे प्रदूषित इलाका
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में प्रदूषण का स्तर अलग-अलग दर्ज किया गया। सीरीफोर्ट में सबसे ज्यादा प्रदूषण पाया गया, जहां मंगलवार को AQI 347 दर्ज किया गया। वहीं, वजीरपुर 332 के साथ दूसरे स्थान पर रहा। सीपीसीबी के समीर ऐप के आंकड़ों के अनुसार, सुबह के समय सीरीफोर्ट में एक्यूआई 351 और वजीरपुर में 342 तक पहुंच गया था। दिन के दौरान हल्की हवा चलने से स्थिति में कुछ सुधार हुआ, लेकिन प्रदूषण का स्तर अब भी चिंताजनक बना हुआ है।
आईटीओ, अक्षरधाम और आनंद विहार में हालात गंभीर
सीपीसीबी की रिपोर्ट बताती है कि अक्षरधाम और आईटीओ के आसपास बुधवार को एक्यूआई 307 दर्ज किया गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में है। वहीं, आनंद विहार क्षेत्र में भी एक्यूआई 307 दर्ज किया गया। इंडिया गेट के पास यह 282 और लोधी रोड के पास 226 दर्ज हुआ, जो “खराब” श्रेणी में गिना जाता है। दिल्ली के कई हिस्सों में अब भी धुंध की हल्की परत छाई हुई है।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी और क्लाउड सीडिंग ट्रायल
दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद मौसम विभाग की भविष्यवाणी और दिल्ली सरकार के क्लाउड सीडिंग ट्रायल से की जा रही थी। हालांकि मंगलवार को राजधानी के किसी भी हिस्से में बारिश नहीं हुई। मौसम विभाग (IMD) ने पहले अनुमान लगाया था कि हल्की बूंदाबांदी से प्रदूषण के स्तर में कमी आ सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
दिल्ली सरकार ने इस बार प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्लाउड सीडिंग तकनीक का परीक्षण करने का निर्णय लिया है, ताकि कृत्रिम वर्षा के माध्यम से हवा को साफ किया जा सके। हालांकि फिलहाल इसका असर दिखना बाकी है।
प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दिल्ली प्रशासन ने कई प्रयास किए हैं। सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल के कण न उड़े। साथ ही, कूड़ा जलाने और निर्माण स्थलों पर खुले में काम करने पर रोक लगाई गई है। दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कई कड़े कदम लागू किए हैं, जिनमें डीज़ल वाहनों पर नियंत्रण, औद्योगिक उत्सर्जन की निगरानी और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना शामिल है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आंकलन
सीपीसीबी के अनुसार, मंगलवार को शाम चार बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 294 रहा। सुबह यह 305 था, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। राष्ट्रीय राजधानी के 38 सक्रिय निगरानी केंद्रों में से सुबह 27 ने वायु गुणवत्ता “बहुत खराब” दर्ज की थी, जबकि शाम को यह संख्या घटकर 16 रह गई। इसका अर्थ है कि हवा में कुछ हद तक सुधार हुआ है, लेकिन अब भी स्थिति सामान्य से काफी दूर है।
बता दें कि. दिल्ली की वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार जरूर हुआ है, लेकिन स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है। बिना बारिश के हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों का जमाव जारी है। अगले कुछ दिनों तक लोगों को राहत मिलने की संभावना कम है।सरकार, प्रशासन और नागरिकों — सभी को मिलकर इस पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए ठोस और स्थायी कदम उठाने होंगे, तभी राजधानी की सांसें कुछ हद तक “साफ” हो सकेंगी।

