नई दिल्ली: साल 2026 भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने वाला है। जहां एक ओर पांच राज्यों—पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी—में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहीं संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भी बड़े बदलाव की आहट सुनाई दे रही है। इस साल राज्यसभा की कुल 75 सीटें खाली होने वाली हैं, जो विभिन्न राज्यों से जुड़ी हुई हैं। इनमें से कई सीटों पर प्रमुख नेताओं की सदस्यता समाप्त हो रही है, जिनमें विपक्ष के दिग्गज जैसे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, दिग्विजय सिंह और शरद पवार शामिल हैं।
मोदी सरकार के इन मंत्रियों में रामदास अठावले, हरदीप सिंह पुरी, बीएल वर्मा, रवनीत सिंह बिट्टू, जॉर्ज कुरियन और रामनाथ ठाकुर शामिल हैं। इनका कार्यकाल अप्रैल, जून और नवंबर 2026 में क्रमशः समाप्त हो रहा है। राज्यसभा के सदस्य विधानसभा सदस्यों (एमएलए) द्वारा चुने जाते हैं, इसलिए इन मंत्रियों की वापसी उनकी पार्टियों की राज्य स्तर पर मजबूती पर निर्भर करेगी।
सबसे पहले बात करते हैं रामदास अठावले की। वे केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री हैं और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के प्रमुख हैं। अठावले महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य हैं और उनका कार्यकाल अप्रैल 2026 में समाप्त हो रहा है। भाजपा ने उन्हें दो बार राज्यसभा भेजा है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। महाराष्ट्र में भाजपा-एनडीए गठबंधन की स्थिति मजबूत है, लेकिन अठावले की पार्टी के पास खुद के विधायक नहीं हैं।
अगले मंत्री हैं हरदीप सिंह पुरी, जो पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हैं। वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं और उनका कार्यकाल 25 नवंबर 2026 को समाप्त हो रहा है। पुरी एक अनुभवी राजनयिक हैं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। भाजपा ने उन्हें 2019 में राज्यसभा भेजा था और वे मोदी कैबिनेट के प्रमुख सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा की मजबूत स्थिति को देखते हुए पुरी की वापसी की संभावना ज्यादा है, लेकिन यदि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले कोई राजनीतिक उथल-पुथल हुई, तो बात बिगड़ सकती है।
बता दें कि, आखिर में रामनाथ ठाकुर, जो कृषि राज्य मंत्री हैं और बिहार से राज्यसभा सदस्य हैं। उनका कार्यकाल अप्रैल 2026 में समाप्त हो रहा है। ठाकुर जेडीयू के हैं और नीतीश कुमार के करीबी हैं। बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद स्थिति बदलेगी, लेकिन 2026 में यहां से 5 सीटें खाली हो रही हैं। एनडीए को 2-3 सीटें मिल सकती हैं, लेकिन ठाकुर की वापसी जेडीयू-भाजपा गठबंधन पर निर्भर करेगी।

