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मुंबई महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों नगर निगम चुनावों के कारण तेजी से बदल रही है। राज्य में कुल 29 नगर निगमों के चुनाव 15 जनवरी 2026 को एक ही चरण में होने हैं, जबकि मतगणना 16 जनवरी को होगी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) हैं। चुनावों से पहले गठबंधनों में इतने बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं कि अब महायुति और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) दोनों के समीकरण टूट चुके हैं। खासकर पुणे में एक नया तीसरा गठबंधन उभरकर सामने आया है, जो राज्य की सियासत को नया मोड़ दे सकता है।

शरद पवार गुट ने 40-45 सीटों की मांग की है, जबकि अजित गुट 30 से ज्यादा देने को तैयार नहीं दिख रहा। दोनों पक्षों के बीच सीट बंटवारे की बैठकें हो चुकी हैं और अंतिम फैसला जल्द होने की उम्मीद है। यह एकता मराठा और ग्रामीण वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश है, जो पुणे जैसे शहर में निर्णायक साबित हो सकती है। हालांकि, इस कदम से एमवीए में बड़ी दरार पड़ गई है, क्योंकि शरद पवार गुट राज्य स्तर पर एमवीए का हिस्सा है।

यह बदलाव महाराष्ट्र की राजनीति में लचीलापन दिखाता है। गठबंधन अब स्थानीय स्तर पर ज्यादा व्यावहारिक हो रहे हैं, जहां विचारधारा से ज्यादा वोट बैंक और स्थानीय मुद्दे (जैसे पानी, बुनियादी ढांचा, शहरी विकास) महत्वपूर्ण हैं। पुणे का नतीजा राज्य की आने वाली राजनीति पर बड़ा असर डालेगा। यदि तीसरा मोर्चा मजबूत हुआ, तो 2029 के विधानसभा चुनावों में भी नए समीकरण बन सकते हैं।

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