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कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने कनाडा का दौरा कर रहे हैं। इस दौरे का प्रमुख उद्देश्य अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में होने वाले जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेना है। यह सम्मेलन दुनिया के सबसे विकसित और शक्तिशाली सात देशों — अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, जर्मनी और कनाडा — के शीर्ष नेताओं को एक मंच पर लाता है। जी-7 के मेजबान देश आमतौर पर इस समूह से बाहर के देशों को भी आमंत्रित करते हैं ताकि वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा और सहयोग हो सके। वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा और सहयोग हो सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने कनाडा का दौरा कर रहे दौरे का प्रमुख उद्देश्य अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में होने वाले जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में भाग लेना है र्मनी और कनाडा — के शीर्ष नेताओं को एक मंच पर लाता है। जी-7 के मेजबान देश आमतौर पर इस समूह से बाहर के देशों को भी आमंत्रित करते हैं समूह से बाहर के देशों को भी आमंत्रित करते हैं ताकि वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा और सहयोग हो सके

प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा यात्रा का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी की यह कनाडा यात्रा लगभग दस वर्षों बाद हो रही है। इससे पहले अप्रैल 2015 में मोदी ने कनाडा का दौरा किया था, जब कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफ़न हार्पर थे। उस दौर में दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर थे और आर्थिक, सुरक्षा तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग मजबूत हो रहा था। लेकिन 2023 में भारत के खिलाफ चल रहे खालिस्तान समर्थक सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास पैदा कर दी। इस घटना के बाद से भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक एवं कूटनीतिक संबंध तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में मोदी की यह यात्रा द्विपक्षीय रिश्तों को पुनः मजबूती देने के प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

जी-7 शिखर सम्मेलन: वैश्विक मुद्दों पर चर्चा

बता दें कि,इस साल के सम्मेलन में भारत की भागीदारी खास महत्व रखती है, क्योंकि भारत एक उभरती हुई वैश्विक ताकत के रूप में इन मुद्दों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन में न केवल वैश्विक चुनौतियों पर भारत की भूमिका पेश करेंगे, बल्कि द्विपक्षीय स्तर पर कनाडा समेत अन्य देशों के साथ व्यापार, निवेश, तकनीकी सहयोग और सुरक्षा समझौतों पर भी चर्चा करेंगे।

साथ ही साथ भारत औऔर कनाडा के बीच पारंपरिक तौर पर अच्छे संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग गहरा है। कनाडा में भारतीय डायस्पोरा की बड़ी संख्या है, जो दोनों देशों को सामाजिक और आर्थिक रूप से जोड़ती है। लेकिन 2023 में हुई हरदीप सिंह निज्जर हत्या के बाद से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत ने इस घटना में शामिल किसी भी संगठन या व्यक्ति को बख्शने का इरादा नहीं जताया है, जबकि कनाडा में इस मामले की जांच को लेकर राजनीतिक दबाव बना हुआ है। इस पृष्ठभूमि में मोदी की यात्रा द्विपक्षीय संवाद और भरोसे का माहौल बनाने की कोशिश मानी जा रही है।

बताते चले कि, –

  1. जी-7 में भारत की भूमिका मजबूत करना: प्रधानमंत्री मोदी इस मंच पर भारत की भूमिका को वैश्विक महाशक्ति के तौर पर प्रस्तुत करेंगे और आर्थिक, तकनीकी तथा पर्यावरणीय मुद्दों पर अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट करेंगे।
  2. द्विपक्षीय संबंधों का सुधार: भारत-कनाडा के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को पुनर्जीवित करना। खासकर खालिस्तान समर्थक तत्वों से संबंधित चिंताओं पर चर्चा।
  3. व्यापार और निवेश: दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना। ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना।
  4. डायस्पोरा से संवाद: कनाडा में बसे भारतीय मूल के लोगों के साथ संवाद स्थापित करना और उनकी भागीदारी को बढ़ावा देना।
  5. सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग: आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रयासों को मजबूत करना, विशेष रूप से खालिस्तान आतंकवाद को लेकर सहयोग।
  6. जलवायु परिवर्तन एवं सतत विकास: वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत की पहल को जी-7 के समक्ष मजबूती से प्रस्तुत करना।

कनाडा की कोशिश रहेगी कि वह भारत के साथ रिश्तों में सुधार करके दक्षिण एशिया में अपनी भूमिका को मजबूत बनाए। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की पहल से मोदी को आमंत्रित करना कनाडा की यह संकेत है कि वह भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी मानता है। साथ ही कनाडा चाहता है कि दोनों देशों के बीच बहुआयामी सहयोग में नई ऊर्जा आए, जिससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंध और गहरे हों।


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