कोलकाता, 10 दिसंबर: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। तृणमूल कांग्रेस से बग़ावत कर अलग हुए पूर्व विधायक हुमायूं कबीर ने मंगलवार को बड़ा ऐलान किया कि वे 22 दिसंबर को कोलकाता में अपनी नई पार्टी का औपचारिक गठन करेंगे। साथ ही उन्होंने दावा किया कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी उनके साथ औपचारिक गठबंधन के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
मुर्शिदाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए कबीर ने कहा, “मैंने ओवैसी साहब से खुद बात की है। उन्होंने मुझसे कहा कि वो हैदराबाद के ओवैसी हैं और मैं बंगाल का ओवैसी हूँ।” उन्होंने बताया कि आज ही कोलकाता पहुँचकर नई पार्टी की कोर कमेटी बना रहे हैं।
कबीर का आरोप है कि तृणमूल अब अल्पसंख्यकों की समस्याओं को पहले जैसी गंभीरता से नहीं ले रही, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी। दूसरी तरफ़ TMC नेताओं ने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “कबीर का जनाधार कुछ इलाक़ों तक सीमित है। AIMIM से गठजोड़ का दावा सिर्फ़ शोर है, सुर्खियाँ बटोरने की कोशिश भर। हमारा अल्पसंख्यक वोट बैंक मज़बूत और अटल है।”
,2021 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने बंगाल में कई सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और कुछ जगहों पर वोट काटने का असर दिखा था, हालांकि एक भी सीट नहीं जीत पाई। जानकारों का मानना है कि अगर कबीर और ओवैसी का गठबंधन सचमुच बनता है तो मुर्शिदाबाद, मालदा और दक्षिण 24 परगना की दर्जन भर सीटों पर वोटों का गणित बदल सकता है।
कबीर ने दावा किया है कि 22 दिसंबर को कोलकाता में लाखों समर्थक जुटेंगे। भीड़ कितनी आती है, यह तो वक़्त बताएगा, लेकिन ममता बनर्जी के लिए 2026 के चुनाव से पहले यह नया सिरदर्द ज़रूर बन गया है।
अगले कुछ हफ़्ते बंगाल की राजनीति के लिहाज़ से बेहद दिलचस्प रहने वाले हैं।
टीएमसी का पलटवार
हुमायूं कबीर के दावों पर टीएमसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि—
- कबीर का जनाधार सीमित है,
- उनका AIMIM गठबंधन का दावा केवल राजनीतिक शोर है,
- वे सिर्फ सुर्खियां बटोरना चाहते हैं।
टीएमसी नेताओं का यह भी कहना है कि पार्टी का अल्पसंख्यक आधार पूरी तरह स्थिर है और इसे कोई राजनीतिक प्रयोग हिला नहीं सकता।
जानकारी दे दें कि, अब सबकी नजर 22 दिसंबर पर टिकी हुई है, जब हुमायूं कबीर अपनी पार्टी का औपचारिक गठन करने जा रहे हैं। इस दिन को लेकर उन्होंने पहले ही दावा किया है कि लाखों समर्थक उनके साथ उपस्थित होंगे। यदि यह दावा सच साबित होता है, तो निश्चित रूप से यह बंगाल की राजनीति में एक नई कहानी की शुरुआत होगी।
