मुंबई । महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल देखने को मिली जब राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। इस विस्तार के तहत एनसीपी (अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने मंत्री पद की शपथ ली। यह शपथ ग्रहण समारोह मुंबई के राजभवन में आयोजित किया गया जहां राज्यपाल रामसेट्टी विश्वभूषण हरिचंदन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
धनंजय मुंडे के इस्तीफे से खाली हुई थी जगह
उल्लेखनीय है कि कुछ सप्ताह पहले एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने निजी कारणों से मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद से यह पद खाली चल रहा था, जिसे अब भरा गया है। इस रिक्त पद पर अनुभवी नेता छगन भुजबल को फिर से मंत्री बनने का अवसर मिला है।
छगन भुजबल का राजनीतिक सफर
छगन भुजबल महाराष्ट्र की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वे लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और कई बार राज्य सरकार में मंत्री पद संभाल चुके हैं। भुजबल ने अपने करियर की शुरुआत शिवसेना से की थी, लेकिन बाद में शरद पवार के साथ एनसीपी में शामिल हो गए थे। वे सामाजिक न्याय, खाद्य आपूर्ति, लोक निर्माण जैसे विभागों में प्रभावशाली कार्य कर चुके हैं।
उनकी छवि एक जमीनी नेता की रही है, जो गरीब और पिछड़े वर्गों के मुद्दों को उठाते रहे हैं। हाल ही में एनसीपी के विभाजन के बाद, वे अजित पवार के खेमे में शामिल हो गए थे और एक बार फिर सत्ता में वापसी की है।
एनसीपी में शक्ति संतुलन बनाए रखने की कवायद
छगन भुजबल की नियुक्ति को एनसीपी के भीतर शक्ति संतुलन बनाए रखने की एक रणनीतिक चाल माना जा रहा है। धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद यह आवश्यक हो गया था कि उनके जैसे प्रभावशाली और अनुभवी नेता को मंत्री बनाया जाए ताकि पार्टी के भीतर असंतोष को रोका जा सके।
इसके अलावा, आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए एनसीपी अजित पवार गुट को यह दिखाना भी जरूरी था कि संगठन में पुराने नेताओं को सम्मान और जिम्मेदारी मिल रही है।
बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन की मजबूती
छगन भुजबल की वापसी से बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के गठबंधन को भी मजबूती मिलेगी। यह गठबंधन पहले से ही सत्ता में है और आने वाले महीनों में लोकसभा व विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रहा है। इस तरह के संतुलन और अनुभवी नेताओं की भूमिका गठबंधन सरकार को स्थिरता प्रदान करती है।
फडणवीस का बयान
शपथ ग्रहण समारोह के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “छगन भुजबल एक अनुभवी और कुशल नेता हैं। उनके प्रशासनिक अनुभव से राज्य सरकार को फायदा होगा और लोगों को बेहतर सेवा मिलेगी।”
विपक्ष का रुख
विपक्षी दलों, खासतौर पर शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (मुख्य गुट) और कांग्रेस ने इस नियुक्ति पर आलोचना करते हुए कहा कि सत्ता के लिए किए गए इस तरह के गठबंधन राज्य के हित में नहीं हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सत्ता बनाए रखने के लिए नैतिक मूल्यों से समझौता कर रही है।
जनहित में क्या उम्मीदें?
छगन भुजबल के पुनः मंत्री बनने से जनता को उम्मीद है कि वे अपने विभाग में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। खासकर शहरी विकास, सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों से जुड़े मामलों में वे सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। उनके पास अनुभव और नेतृत्व क्षमता दोनों हैं, जो राज्य की नीति-निर्माण प्रक्रिया को बेहतर बना सकते हैं।