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नई दिल्ली – भारत और इजरायल के बीच मजबूती से बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को एक नया तह चलनी पड़ सकती है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस वर्ष तीसरी बार अपना भारत दौरा स्थगित कर दिया है। यह निर्णय मुख्य रूप से भारत की राजधानी नई दिल्ली में हाल ही में हुए कट्टरपंथी हमले के बाद उठाई गई सुरक्षा चिंताओं के मद्देनज़र लिया गया है।

दौरा स्थगित क्यों हुआ?

इजरायल मीडिया तथा भारतीय समाचार एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, नेतन्याहू के भारत दौरे का उद्देश्य प्रधान मंत्री Narendra Modi के साथ द्विपक्षीय मुलाकात और रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना था। लेकिन दिल्ली में “लगभग 15 लोगों की मौत” से सम्बंधित आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा-मूल्यांकन में इजरायली नेतृत्व चिंतित हो गया

इस हमले को राजधानी में पिछले लगभग एक दशक के भीतर सबसे गंभीर माना गया है, जिससे नए विदेशी दौरे का माहौल जटिल हो गया।

चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, शी जिनपिंग ने ट्रम्प से कहा कि ताइवान को मेनलैंड चाइन का हिस्सा बनाना उनके लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने यूक्रेन में एक निष्पक्ष और स्थायी शांति समझौते की भी उम्मीद जताई। इथियोपिया में 12 हजार साल बाद ज्वालामुखी फटा:राख का 15 किमी ऊंचा गुबार उठा; 4300

बता दें कि, आज जिस तरह से भारत-इजरायल संबंध विकसित हो रहे थे, नेतन्याहू की भारत यात्रा स्थगन ने एक चुनौती पेश दी है। यह सिर्फ एक दौरा नहीं रुक गया — यह संकेत है कि सुरक्षा, विश्वसनीयता और सामरिक सहयोग अब राजनयिक दौरे जितने सरल नहीं रहे। हालाँकि दोनों देशों के बीच स्थायी साझेदारी की नींव मजबूत है, लेकिन इस तरह के असमय रुकावटें यह याद दिलाती हैं कि विदेश नीति केवल योजनाओं का सेट-अप नहीं होती — बल्कि भू-राजनीति, सुरक्षा और परिस्थितियों का समुच्चय भी है।

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