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अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस सोमवार को पत्नी उषा, बच्चों इवान, विवेक और मीराबेल के साथ भारत पहुंचे हैं। उपराष्ट्रपति बनने के बाद यह जेडी वेंस का पहला आधिकारिक भारत दौरा है। वे 4 दिन भारत में रहेंगे। 13 साल में यह किसी अमेरिकी उपराष्ट्रपति की पहली भारत यात्रा होगी। पिछली बार जो बाइडेन उपराष्ट्रपति के रूप में 2013 में भारत आए थे। जेडी वेंस का भारत दौरा दो वजहों से अहम है। इस वक्त भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील, टैरिफ को लेकर तनाव की स्थिति है। प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति वेंस के बीच व्यापार, टैरिफ, क्षेत्रीय सुरक्षा और बाइलेट्रल कोऑपरेशन को बढ़ाने के तरीकों सहित कई अहम मुद्दों पर बातचीत होगी। टैरिफ वॉर को लेकर दुनिया में चल रही रस्साकसी के बीच यह दौरा किस तरह की संभावनाओं को लेकर आएगा। वहीं ही जेडी वेंस ने 3 महीने में 5 विदेशी दौरे किए, हर जगह विवाद हुआ है।

टैरिफ वॉर और ट्रेड डील का असर

विदेश नीति और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ गौरव गोयल कहते हैं कि जब प्रधानमंत्री मोदी फरवरी में अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप से मिलने गए थे, तो ट्रेड डील की घोषणा की बात चली थी। प्रक्रिया तेज करने की बात भी हुई थी, लेकिन यह एक चल रही प्रक्रिया है। अब तक कोई ठोस परिणाम तो नहीं आया, लेकिन हां, दोनों पक्षों ने बातचीत को आगे बढ़ाया है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी थी कि ट्रंप प्रशासन ने 90 दिन की एक डेडलाइन तय की थी, जिसके बाद अमेरिका को यह तय करना था कि बातचीत जारी रखी जाए या टैरिफ (आयात शुल्क) लागू किया जाए। अमेरिका के लिए यह अहम था क्योंकि भारत अमेरिका को अपने कुल निर्यात का लगभग 18% भेजता है। परंतु ये 90 दिन असमंजस से भरे रहे, केवल बातचीत ही होती रही, कोई बड़ी घोषणा नहीं हो सकी। फिर भी, बातचीत आगे बढ़ी है। भारत के लिए यह दौरा प्रतीकात्मक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि चाहे बाइडन हों या ट्रंप, दोनों ने भारत-अमेरिका रणनीतिक सहयोग की बात की है।

पार्ले पॉलिसी इनिशिएटिव, दक्षिण कोरिया के विशेष सलाहकार (दक्षिण एशिया) के नीरज सिंह मनहास कहते हैं कि जेपी वेंस की भारत यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत और अमेरिका के बीच शुल्क को लेकर व्यापारिक तनाव महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। वेंस इस यात्रा के दौरान एक संभावित व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिए वार्ता करेंगे। हालांकि इस दौरे में किसी ठोस समझौते की संभावना कम है, फिर भी ये बातचीत तकनीक और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में लंबे समय से चले आ रहे शुल्क विवादों को हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। चर्चा का एक प्रमुख पहलू यह है कि भारत अमेरिका से होने वाले अपने आधे से अधिक आयात पर शुल्क घटाने को तैयार है, जो व्यापारिक तनाव को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा। इससे अमेरिका की ओर से संभावित जवाबी शुल्क लगाने की स्थिति से बचा जा सकेगा और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे। हालांकि, इन मुद्दों का पूर्ण समाधान समय लेगा और यात्रा के बाद भी निरंतर कूटनीतिक प्रयास आवश्यक रहेंगे।

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