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पहले गोबर खाद का उपयोग कर किसान ऐसी फसल पैदा करता था जो कि सेहत के लिए बेहद ही अच्छी मानी जाती थी। मगर जैसे जैसे विज्ञान ने तरक्की की खेतों में पैदावार बढ़ाने के लिए रासायनिक दवाओं की मानो होड़ सी मची हुई है। पैदावार तो खूब हो रही है मगर सेहत को लेकर कोई चिंतित नहीं है। जबकि कई सर्वे में ये बात सामने आ चुकी है कि रासायनिक खाद औऱ दवाओं के उपयोग से सबसे ज्यादा सेहत बिगड़ रही है।

केंद्र सरकार भी लगातार जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। अच्छी बात ये है कि अब किसान जागरूक भी हो रहे हैं। अच्छी खेती के लिए किसान खाद का उपयोग कर रहे हैं। ताकि फसल अच्छी हो खेती करने के लिए किसानों को सही जानकारी दी जाती है। बता दें कि, गोबर की खाद 4-5 महीने में खाद पूरी तरह सड़कर तैयार हो जाती है।

गोबर की खाद कुछ खास फसलों के लिए बेहद असरदार मानी जाती है, क्योंकि यह पोषक तत्वों को धीरे-धीरे छोड़ती है और मिट्टी की गुणवत्ता को लंबे समय तक बनाए रखती है. यह खाद विशेष रूप से आलू, टमाटर, गाजर, मूली, प्याज और शकरकंद जैसी सब्जियों में बेहतरीन परिणाम देती है।

अगर आप किसान हैं, और खेती की लागत से परेशान हैं, तो अब वक्त है गोबर की ताकत को पहचानने का. सही तरीके से बनाई गई गोबर की खाद न सिर्फ आपकी मिट्टी को उपजाऊ बनाती है, बल्कि फसलों की सेहत और उत्पादन दोनों में सुधार करती है. आइए जानते हैं कि गोबर की खाद कैसे बनाएं, कब डालें और इससे कितना फायदा हो सकता है.

गोबर की खाद क्यों है जरूरी?

रासायनिक खादों से खेत की उपज बढ़ती जरूर है, लेकिन लंबे समय में यह मिट्टी की उर्वरता को खत्म कर देती है. वहीं, गोबर की खाद एक प्राकृतिक विकल्प है, जिसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं।इससे मिट्टी की जल धारण क्षमता भी बढ़ती है,
जिससे सूखे समय में भी फसल को नमी मिलती रहती है।

गोबर की खाद कैसे बनाएं?

1. गड्ढा बनाएं:
सबसे पहले खेत या पशुशाला के पास एक 6–7 मीटर लंबा, 1.5–2 मीटर चौड़ा और 1 मीटर गहरा गड्ढा (ट्रेंच) बनाएं। इसे छायादार और पानी से दूर जगह पर बनाना बेहतर होगा।

2. मूत्र और तुड़ा मिलाएं:
गोबर के साथ पशु मूत्र (urine) भी बेहद उपयोगी होता है, क्योंकि उसमें यूरिया और पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है। मूत्र को सोखने के लिए तुड़ा, सूखी घास या मिट्टी मिलाएं।

3. रोजाना मिश्रण भरें:
प्रत्येक दिन ताजा गोबर और मूत्र मिश्रण को गड्ढे में डालें। जब यह गड्ढे के मुंह तक भर जाए, तब इसे मिट्टी और गोबर के घोल से लीपकर बंद कर दें।

4. सड़ने का समय:
यह मिश्रण धीरे-धीरे सड़ता है और 4–5 महीने में अच्छी गुणवत्ता की खाद तैयार हो जाती है। जब यह काली, भुरभुरी और गंधहीन हो जाए तो समझें खाद पूरी तरह तैयार है।

जानकारी के लिए बता दें कि, 4 से 5 महीने में तैयार- 4-5 महीने में खाद पूरी तरह सड़कर तैयार हो जाती है. इसके बाद यह खेत में डालने के लिए तैयार हो जाती है।

अगर आप किसान है या आपके पास सब्जी भाजी उगाने के लिए पर्याप्त जगह है तो बिल्कुल भी बिना सोचे गोबर खाद का उपयोग कर परिवार की सेहत को सुधारें। एक एक व्यक्ति जब जागरूक होगा औऱ गोबर खाद का उपयोग करेगा तो धीरे – धीरे जागरूकता पूरे देश की सेहत को सुधारेगी। ये रासायनिक खाद के उपयोग ने पूरी प्रकृति के साथ – साथ इंसानी अस्तितित्व को भी खतरे में डाल दिया है।

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